विनती

नादान बालक की विनती

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Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 10 Nov, 2021 | 1 min read

विनती 


मैं हूं एक छोटा सा बालक नादान

पढ़ने में नहीं लगता मेरा ध्यान

खेलकूद और कार्टून हैं मेरी जान

खाने में भाते हैं मुझको बस पकवान

मेरी एक विनती सुन लो तुम भगवान

सिखला दो मुझको भी "कैसे हों अंतर्ध्यान

 करके शैतानी हो जाऊंगा मैं भी फिर अंतर्ध्यान

ना डांट पायेगा फिर,ना उमेठ सकेगा कोई मेरे कान

एक जादू की छड़ी भी देना, कर दे जो पूरे मेरे सारे अरमान

दूंगा अपने हिस्से से मैं तुमको फिर रोज़ दूध और पकवान


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

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Vandana Bhatnagar

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