नारी शक्ति

बेटियों को भी आगे बढ़ने का मौका दो

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Vandana Bhatnagar
Vandana Bhatnagar 23 Feb, 2021 | 1 min read
#1000कविता

मां ,बेटी हूं तेरी ही ना लगा पाबंदी मुझ पर हज़ार

है प्रबल इच्छा पढ़ लिख कर जीवन अपना लूं संवार

जिऊंगी सिर उठाकर, करूंगी फिर रौशन घर बार

ना बनूंगी बोझ किसी पर उठाऊंगी खुद अपना भार

सीना छलनी होता है मेरा, कहते हैं लोग जब तुम्हें अनपढ़ गंवार

ना सहूंगी ना सहने दूंगी फिर तुमको अत्याचार

सुन बात बेटी की ,बोली मां करके उसे ढेर सा प्यार

हो स्वच्छंद छू तू भी गगन ,कर अपने सपने साकार

शिक्षित होकर ही होगी जागरूक नारी, तभी जान पाएगी वो अपने अधिकार

मिले सम्मान नारी को भी, ना हो अब साथ उसके दुराचार

है नहीं मुट्ठी भर, है आधी आबादी उसकी आखिरकार

पड़ेगी कलेजे में ठंडक जब होगी नारी शक्ति की जय -जयकार


मौलिक रचना

वन्दना भटनागर

मुज़फ्फरनगर

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