बंद दरवाजा

कौन है उस बंद दरवाजे के पीछे , थामा जिसने था मुझे वो बाहें किसकी है ?

Originally published in hi
Reactions 1
509
Tulika Das
Tulika Das 08 Sep, 2020 | 1 min read
#the poetry blast

एक शाम अकेली बैठी मैं

कुछ सोच रही थी ,

जिंदगी के पन्ने पलट रही थी,

वक्त की पड़ी धूल को ,

आंचल से अपने झाड़ रही थी ,

नाम अचानक लेकर तुम्हारा ,

किसी ने मुझे चौका दिया ,

वक्त की बाहों में मुझे,

यादों में खींच लिया ।

थाम मेरा हाथ चली वो ,

यादों की भूल भुलैया में ,

कई मोड़े पार कर वो ,

रुक गई एक गली में ,

मैं अकेली रह गई ,

वो जाने कहां चली गई ।

गलियां जानी पहचानी थी ,

मैं आगे बढ़ने लगी ।

बंद द्वार एक आगे आया ,

कदम मेरे आगे ना बढ़े ,

निगाहे वहीं ठिठक गई ।

बंद दरवाजा अचानक खुल गया ,

सामने वहां तुम खड़े थे ,

चाहा वहां से मुड़ जाऊं ,

पर पैरों ने साथ न दिया ,

निगाहों ने झुकने से इनकार किया,

खुद पर मेरा बस ना चला ।

थाम मेरा हाथ तुमने ,

आगोश में मुझे लिया ।

सारे दर्द मिटा दिए ,

यू प्यार से जो थामा

खो गई प्यार में तुम्हारे

नींद मुझे आ गई ।

पानी का छींटा पड़ा ,

बंद पलकें खुल गई ।

हां ! यह सब एक ख्वाब था ,

जो उस मोड़ पर मेरी पलकों में आ बसा था ।

चली थी हकीकत की जमीन से

वक्त यादों में खींच ले गया ,

मन बावरा फिर यादों में खो गया था ।

कोई मुझसे यह न पूछें -

ये गलियां कौन सी है ,

क्या है उस बंद दरवाजे के पीछे ,

थामा जिसने था मुझे ,

वो बाहें किसकी है?

रचना - तुलिका दास ।

1 likes

Published By

Tulika Das

tulikadas1

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Namrata Pandey · 3 years ago last edited 3 years ago

    Nice

  • Tulika Das · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया

Please Login or Create a free account to comment.