Hari
Hari 20 Aug, 2019 | 1 min read
Hobby

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Kiran
Kiran 20 Aug, 2019 | 1 min read
Goal

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Kiran
Kiran 20 Aug, 2019 | 2 mins read
Women Education

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 19 Aug, 2019 | 1 min read

धन्यवाद

*समय समय पर भगवान का धन्यवाद अदा करना चाहिए* *किसी निर्माणाधीन भवन की सातवीं मंजिल से* *ठेकेदार ने नीचे काम करने वाले मजदूर को आवाज दी !* *निर्माण कार्य की तेज आवाज के कारण मजदूर कुछ सुन न सका कि उसका ठेकेदार उसे आवाज दे रहा है !* *ठेकेदार ने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए एक 1 रुपये का सिक्का नीचे फैंका जो ठीक मजदूर के सामने जा कर गिरा !* *मजदूर ने सिक्का उठाया और अपनी जेब में रख लिया, और फिर अपने काम मे लग गया !* *अब उसका ध्यान खींचने के लिए सुपर वाईजर ने पुन: एक 5 रुपये का सिक्का नीचे फैंका !* *फिर 10 रु. का सिक्का फेंका* *उस मजदूर ने फिर वही किया और सिक्के जेब मे रख कर अपने काम मे लग गया !* *ये देख अब ठेकेदार ने एक छोटा सा पत्थर का टुकड़ा लिया और* *मजदूर के उपर फैंका जो सीधा मजदूर के सिर पर लगा!* *अब मजदूर ने ऊपर देखा और ठेकेदार से बात चालू हो गयी !* *ऐसी ही घटना हमारी जिन्दगी मे भी घटती रहती है..* *भगवान हमसे संपर्क करना ,मिलना चाहता है, लेकिन हम* *दुनियादारी के कामों में इतने व्यस्त रहते हैं* *की हम भगवान को याद नहीं करते !* *भगवान हमें छोटी छोटी खुशियों के रूप मे उपहार देता रहता है, लेकिन हम उसे याद नहीं करते और* *वो खुशियां और उपहार कहाँ से आये ये ना देखते हुए, उनका उपयोग कर लेते है,* *और भगवान को याद ही नहीं करते!* *भगवान् हमें और भी खुशियों रूपी उपहार भेजता है, लेकिन उसे भी हम हमारा भाग्य समझ कर रख लेते हैं, भगवान् का धन्यवाद नहीं करते, उसे भूल जाते हैं !* *तब भगवान् हम पर एक छोटा सा पत्थर फैंकते हैं, जिसे हम कठिनाई, तकलीफ या दुख कहते हैं,* *फिर हम तुरन्त उसके निराकरण के लिए* *भगवान् की ओर देखते है, याद करते हैं !* *यही जिन्दगी मे हो रहा है.* *यदि हम हमारी छोटी से छोटी ख़ुशी भी* *भगवान् के साथ उसका धन्यवाद देते हुए बाँटें,* *तो हमें भगवान् के द्वारा फैंके हुए पत्थर का इन्तजार ही नहीं करना पड़ेगा

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 19 Aug, 2019 | 1 min read

साक्षात्कार

दरअसल कुपात्र तार्किक लोगों ने एक नैरेटिव बनाया कि हमारे शास्त्रों में जन्म आधारित जाती सूचक शब्दों का वर्णन है। इसमें वह भी शामिल हैं जो तथाकथित धार्मिक हैं क्योंकि इससे उन्हें बिना कुछ किये धरे सम्मान व धन मिल जाता था, और वे भी जिनमें सनातन व्यवस्था की वास्तविक महानता से चिढ़ने वाले जैसे वामपंथी लोग भी, जो इसे खत्म कर देना चाहते हैं। गलती ये रही कि इस नैरेटिव पर चोट करने की बजाय सब अपनी जाति जन्मगत मानने लगे और शास्त्रों को भी इसी दृष्टि से पढ़ने लगे। जीवन भी वैसे ही जीने लगे। नाम के आगे श्रीवास्तव इत्यादि लगाकर स्वयं के साथ जाती को अभिन्न बना लिया। तुलसी, चैतन्य, शंकर, मनु जैसे सिद्धों के वाक्यों को उस मूल भावना में देखना होगा जहां जाति गुणकर्मविभागशः है। इस चौपाई के परिप्रेक्ष्य में श्रीराम द्वारा उल्लिखित नवधा भक्ति की ओर भी देखना होगा जहां श्रीभगवान ने भीलनी भक्त शबरी माता को यह बताने के बाद कहा कि इस भक्ति के नौ अंगों में से किसी एक का भी यदि कोई पालन करता है तो वह स्त्री पुरुष चर अचर कोई भी हो, मुझे अतिशय प्रिय होता है। इस प्रकार गोस्वामी जी ने श्रीभगवान के मुखकमल से यह कहलाकर सारी संकीर्णता और संशय की दीवार ध्वस्त कर दी।

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 19 Aug, 2019 | 1 min read

चरित्र

*नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बनने के बाद, अपने सुरक्षा कर्मियों के साथ एक रेस्तरां में खाना खाने गए। सबने अपनी अपनी पसंद के खाना का आर्डर दिया और खाना के आने का इंतजार करने लगे।*

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 19 Aug, 2019 | 1 min read

पुण्य की कमाई

पुण्य की कमाई

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Raghav Sen 19 Aug, 2019 | 3 mins read
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Raghav Sen 18 Aug, 2019 | 2 mins read
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