बारिश: सुख़न और विडम्बना

बारिश एक एहसास है, सुख़न का आभास है। खेतीहर की आस है, अतः दिल के पास है। युवक-युवतियों का सावन, झूलों पर हो ये मन-भावन। नदी, झील,पोखर, झरने, तृप्ति मागता ये प्यासातन। इस सुंदर सुंदर अहसासों में, पंछियों की भींगी साँसो में। वो सुंदर सुख़न नही मिलता, जब पिंजरा उन्हें नही मिलता। जैसे जब मेरे घर की छत, बाबा के हांथो बनी हुई छत। रिसती हुई टपकती हुई छत, माँ ज़मी आसमां हुई छत। मुझे भीगने से बचाने के लिए, अपने लाड को सुलाने के लिए। मुझे लेटा कर एक कोने में, अम्मा लगी रही उचटने में। पानी घर भीतर भर आता, पर लगी रही वो मेरी दाता। मैं भीगा बहुत बुखार हुआ, क्या उसको कुछ नही हुआ। ©aman_g_mishra

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 855
Aman G Mishra
Aman G Mishra 22 Jul, 2019 | 1 min read

बारिश एक एहसास है,

सुख़न का आभास है।

खेतीहर की आस है,

अतः दिल के पास है।


युवक-युवतियों का सावन,

झूलों पर हो ये मन-भावन।

नदी, झील,पोखर, झरने,

तृप्ति मागता ये प्यासातन।


इस सुंदर सुंदर अहसासों में,

पंछियों की भींगी साँसो में।

वो सुंदर सुख़न नही मिलता,

जब पिंजरा उन्हें नही मिलता।



जैसे जब मेरे घर की छत,

बाबा के हांथो बनी हुई छत।

रिसती हुई टपकती हुई छत,

माँ ज़मी आसमां हुई छत।


मुझे भीगने से बचाने के लिए,

अपने लाड को सुलाने के लिए।

मुझे लेटा कर एक कोने में,

अम्मा लगी रही उचटने में।


पानी घर भीतर भर आता,

पर लगी रही वो मेरी दाता।

मैं भीगा बहुत बुखार हुआ,

क्या उसको कुछ नही हुआ।

©aman_g_mishra

0 likes

Support Aman G Mishra

Please login to support the author.

Published By

Aman G Mishra

aman

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.