Shakeb
Shakeb 14 Sep, 2019 | 2 mins read
We masked ourselves.

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Shakeb
Shakeb 14 Sep, 2019 | 2 mins read
You can bring a Revolution Alone

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Manu jain
Manu jain 09 Sep, 2019 | 1 min read
 My fairy tale dream

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Manu jain
Manu jain 09 Sep, 2019 | 1 min read
If i were an angel

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 29 Aug, 2019 | 1 min read

संस्कृतभाषायाः वैशिष्ट्यम्

राष्ट्रस्य परमोन्नतस्थानस्य प्राप्त्यर्थम् उत्तमं साधनं भवति संस्कृतम् । यदा यदा राष्ट्रस्य पुनरुद्धरणप्रक्रिया आसीत् तदा तदा यस्य कस्यापि संस्कृतज्ञस्य दायः तत्र लीनः स्यात् यथा चन्द्रगुप्तकाले चाणक्यस्य । राष्ट्रं सहजम् इति कारणेन राष्ट्रनिर्माणम् इति प्रयोगः असाधुः भवति । राष्ट्रं स्वसंस्कृतिद्वारा, संस्कृतिः स्वाभाषाद्वारा एव जीवति इत्यतः राष्ट्रोज्जीवनाय संस्कृतोज्जीवनं प्रथमं प्रधानं सोपानम् । पूर्वं भारतं जगद्गुरुः आसीत् ।

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Aman G Mishra
Aman G Mishra 25 Aug, 2019 | 1 min read
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Aman G Mishra
Aman G Mishra 25 Aug, 2019 | 1 min read
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Aman G Mishra
Aman G Mishra 25 Aug, 2019 | 1 min read
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Aman G Mishra
Aman G Mishra 25 Aug, 2019 | 1 min read
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Aman G Mishra
Aman G Mishra 24 Aug, 2019 | 1 min read

कृष्ण

ऋषियों ने यह कहा कि अन्यान्य अवतार उस भगवान के अंश और फलस्वरूप हैं लेकिन श्रीकृष्ण तो स्वयं भगवान हैं। (श्रीमद्भागवत महापुराण) वे एक ही स्वरूप में अभूतपूर्व संन्यासी और अद्भुत गृहस्थ हैं, उनमे अत्यधिक अद्भुत रजोगुण व शक्ति थी, साथ ही वे त्याग की पराकाष्ठा थे। गीता के प्रचारक श्रीभगवान अपने उपदेशों की साकार मूर्ति थे, वेदों की ऋचाएं उनका ही गायन करती हैं, अनासक्ति के उज्ज्वल उदाहरण हैं श्रीभगवान।उन्होंने कभी सिंहासन नही अपनाया, न ही उसकी चिंता की। जिनके आने से राजा और चक्रवर्ती सम्राट अपने मुकुट उनके चरणों मे रख देते थे, जिनको प्रथम पूज्य बनाकर युधिष्ठिर जैसे राजा अपने को धन्य समझते थे, उन श्रीभगवान ने सदैव राजा उग्रसेन के प्रतिनिधि के रूप में एक छोटी से नगरी में अनासक्त कर्म किया। उन्होंने बाल्यकाल में जिस सरल भाव से महान परमहंस गोपियों के साथ क्रीड़ा की, वही सरलता कंस के वध, महाभारत के युद्ध और यदुवंश के विनाश तक बनी रही। इतनी सरलता और मधुरता कि दो सेनाओं के बीच वह मुस्कराते हुए अर्जुन को विश्व का महानतम गूढ़तम दार्शनिक ज्ञान देते हैं जो आज भी पढ़ा जा रहा है लेकिन लोग तृप्त नहीं हो पा रहे। जो किया पूरे मन से, गोपियों के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रेमी, नन्द बाबा और यशोदा माँ के सर्वश्रेष्ठ पुत्र ऐसे कि सब उनके जैसा पुत्र चाहते हैं, रुक्मिणी के पति के रूप में आदर्श पति, आदर्श योद्धा, आदर्श दार्शनिक, आदर्श रणनीतिकार, आदर्श राजनेता, और न जाने क्या क्या। विश्व के इतिहास में इतनी अनासक्ति और पूर्णता के साथ जीवन किसी ने आज तक नहीं जिया। साकार निराकार, कर्म सन्यास, यज्ञ दान तप और न जाने ऐसे कितने विवादों को अपनी सहज और प्रामाणिक तर्कसंगत वाणी से समाप्त कर दिए और बोले कि आत्मशुद्धि की तरफ बढ़ो। कर्म का एकमात्र उद्देश्य आत्मशुद्धि है।गोपियों के साथ उनके विशुध्द प्रेम को केवल एक आजन्म पवित्र नित्य शुद्ध शुकदेव गोस्वामी जैसा पूर्ण ब्रह्मचारी और पवित्र स्वभाव वाला प्रेमरूपी मदिरा में डूबा भक्त ही समझ सकता है। जिसने प्रेम में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया हो केवल वह ही मेरे श्रीभगवान मधुराधिपते को समझ सकता है। अहैतुकी भक्ति, निष्काम प्रेम, निरपेक्ष कर्तव्य निष्ठा का आदर्श धर्म के इतिहास में एक नया अध्याय है जो प्रथम बार सर्वश्रेष्ठ अवतार श्रीभगवान कृष्ण के मुख से निकला, जिनके कारण धर्म से भय और प्रलोभन हमेशा के लिए समाप्त हो गए। प्रेम केवल प्रेम के लिए, कर्तव्य कर्तव्य के लिए, काम काम के लिए। यह श्रीभगवान के मौलिक आविष्कार हैं जिन्हें उनसे पहले वेदों ने भी नहीं गाया। जिसके हृदय में अभी भी धन, स्त्री या पुरुष और यश के बुलबुले उठते रहते हैं, वह तो गोपियों और श्रीभगवान के प्रेम को समझने का साहस भी न करे। वह प्रेम तो ऐसा है कि उस समय संसार का कोई स्मरण नही रहता, समस्त प्राणियों में केवल श्रीभगवान दिखते हैं, आत्मा केवल श्रीकृष्ण से भर जाती है।

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