अपनी जिंदगी जीती हूं

It's a poem on self love, dedicated to women.

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Sanoj Kumar
Sanoj Kumar 07 Mar, 2021 | 0 mins read
#1000poems thehiddenwritersk

सजती हूं मैं खुद के लिए,

दूसरे के नजरों से ना देखती हूं।

प्यार, मैं खुद को करती हूं,

अपने लिए किसी और को ना ढूंढती हूं।


अपनी व्यस्त जीवन से,

खुद के लिए मैं समय निकालती हूं।

औरों की तरह मैं किसी और को नहीं,

मैं खुद में, खुद को तलाशती हूं।


मैं जो चाहे करूं,

बस अपनी दुनिया को जीती हूं।

लोग मुझे भले ही अबला नारी समझे,

मुझे जो करना है, मैं बेझिझक करती हूं।


परिवार का लालन पोषण के साथ,

अपनो की हर जरूरतों को पूरा करती हूं।

खुद भले ही मायूस रहूं,

पर अपनो के चेहरे को खुशनुमा रखती हूं।


मैं कमाती भी हूं, उड़ाती भी हूं,

मैं अपनी शर्त पर अपनी जिंदगी जीती हूं।

कोई मुझ पर खर्चा क्यों करे,

मैं अपने सपनों की उड़ान खुद भर्ती हूं।


कोई मुझे कितना भी दुख दे दे,

मैं लोगों की बातों को ना दिल से लगाती हूं।

सारे दर्द, गम, गीले शिकवे, छुपा कर,

चेहरे पर मुस्कान लिए घूमती हूं।

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Sanoj Kumar

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