रंग

सबका अपना-अपना रंग है पर ममता का रंग क्या

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Teena Suman
Teena Suman 22 Dec, 2020 | 1 min read



" अरे !जाओ जाओ ,बोला ना इस पर हमारा हक है, हमारा रंग चढ़ेगा "|  

 दबी दबी सिसकियां अपना वजूद तलाश रही थी|

" ऐसे कैसे तुम्हारा हक हो गया ,हम नहीं छोड़ेंगे! हमारा रंग लगेगा"|

 सिसकियां परेशानी में बदल चुकी थी|

" तुम दोनों बात मानो , इस पर हमारी मीलकीयत है"|

 परेशानी अब अनकहे मौन की तरफ जा रही थी|

 "सीधे तरीके से मान जाओ ,समझा दिया ना हमारा हक है"|

 अनकहा मौन अब चित्कार में बदल चुका था|

" तुम सब होते कौन हो मुझे अपने रंग में रंगने वाले ,याद रखो मुझसे तुम सब का वजूद है, तुमसे मैं नहीं हूं| सद्भावना का रंग सबसे गहरा है, माँ हूँ तुम चाराे की ,ममता के रंग में रंगों मुझे|"


 टीना सुमन 

मौलिक रचना

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Teena Suman

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Comments

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  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    उम्दा सृजन

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