क्योंकि अब तुम हमदम हो ।

Year 2020 end on this note ...

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Shah  طالب  अहमद
Shah طالب अहमद 03 Jan, 2021 | 1 min read
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क्योंकि अब तुम हमदम हो ।

और में नामहरम तो तुम उसका ख़याल रखना।



थोड़ी ज़िद्दी है , मग़र उतनी ही नादान भी ।

तो उससे मुख़ातिब होते वक़्त थोड़ा इत्मिनान रखना ।


दाखिल होते है ज़िन्दगी में वो मेज़बानों से पेश आएगी।

मगर तुम उसको सदा अपना मेहमान रखना ।


उसकी हर आवाज़ पर उसके तरफ दौड़ जाना ।

जैसे मुसलमान का लिहाजे अज़ान रखना ।


कुछ लहासिल ख्वाइशें भी होंगी उनकी ।

मग़र बदगुमानी ना करना ज़िंदा अपना ईमान रखना।


किसी शाम को जब उसे बाहर खाने की हाजत हो ।

तुम साथ मे जाना फिर चख के हर समान रखना।


साल बदला और हमारा रिश्ता भी बदल गया ।

तुम्हारे साथ भी ऐसा ना हो इसका ऐहतराम रखना ।


क्योंकि अब तुम हमदम हो ।

और में नामहरम तो तुम उसका ख़याल रखना।

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Shah طالب अहमद

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