Makdoom E Rudauli _(603 _historic urs Mubarak ).

This is dedicated to my Beloved Hazrat Shiek makdoom ahmad e Abdul Haq ( R.A).

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Shah  طالب  अहमद
Shah طالب अहमद 09 Feb, 2020 | 0 mins read

कभी दिन तो कभी रात में।

कभी मसलन तो कभी इत्तेफ़ाक में।

जिक्र आपका रहता हैं मेरे लब पे, मेरी हर बात में।

हर बार दुआ का तालिब होता हूँ में मुफ़लिसों के जज़्बात में ।

ना जाने कैसे खुद को मुब्तिला पता हूँ , दूसरों की तकलीफों में ,गैरों के एहसासात में।

फिऱ मिलता हैं सुकूँ मुझे शेख उल आलम रज़ियल्लाहूताला की ख़ानक़ाह में।


आपके निज़ाम में।

तकलीफ बदलतीं हैं , इत्मीनान में।

आपके करम में ।

ज़ख़्म ख़ुद ब ख़ुद बदलते हैं , मरहम में।

आपकी तक़बीरो में ।

हम सब की गिनती हैं,आपके फ़कीरो में।

आपके साये में।

तफशीश ख़त्म हो गयी आपकी राहों में ।

आपके महज़ ज़िक्र से

फ़ज़ीलियत मिलती हैं , हर फ़िक्र से।

उर्स मुबारक़ हो आपको मेरे भी सलाम को क़बूल फ़रमाये।

जितनी भी मिले ज़िन्दगी शेख उल आलम रज़ियल्लाहूताला के अहकामात के काम आये।

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Shah طالب अहमद

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