क्या ? ( Kalam AUR Siyahi )

Love on board....

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Shah  طالب  अहमद
Shah طالب अहमद 08 Dec, 2019 | 0 mins read

क्या ?

क्या प्यार तेरा सिर्फ़ क़लम और सियाही तक गया ।

प्यार...

मेरा प्यार तो बहुत गहराई तक गया ।

बिस्तर की तह से तबाही तक गया ।

कसदन के माजरों से सफ़ाई तक गया

मसले का हल मिला जब मेरी रेहनुमाई तक गया ।

चश्मदीद गवाह हैं उस कमरे का हर पुर्ज़ा ।

इसलिए तो आज की रुबाई तक गया।

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Shah طالب अहमद

talib

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