रज्जो की मुस्कान

एक सैनानी और उसकी पत्नी की प्रेम कहानी

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 699
swati roy
swati roy 14 Nov, 2019 | 1 min read

रज्जो, "तू ऐसे ही मुस्कुराते हुए मेरे लिए दरवाजा खोला कर। तेरी इस मुस्कान को देख मेरे सारी थकान छूमंतर हो जाती है।" तीन महीने बाद सरहद से लौटे बलवीर ने कहा। 

  अभी घर आए एक हफ्ता भी ना बीता था कि सीमा पर तनावपूर्ण परिस्थिति आन पड़ी और बलवीर को वापस लौटना पड़ा। ऐसे ही मुस्कुराते रहने का वादा लिए बलवीर निकल पड़ा। उस दिन के बाद ना वो आया और ना उसकी कोई खबर। बस इतना ही पता चला था कि उसको आखिरी बार दुश्मनों के डेरे की तरफ जाते देखा गया था। अंदेशा किया जा रहा था कि उसको जंगियो द्वारा बन्दी बना लिया गया है।

   आज पच्चीस साल बाद बलवीर के लौटने की खबर सुन रज्जो ने दरवाजा खोला और तिरंगे में लिपटे बलवीर को देख उसके झुर्रियों से भरे चेहरे पर वही मुस्कान तैर गई और बोली "आज भी मैंने अपने मुस्कुराते रहने का वादा नही तोड़ा।"


धन्यवाद।

स्वाति रॉय


0 likes

Support swati roy

Please login to support the author.

Published By

swati roy

swati

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.