मेरी प्यारी माँ

वो माँ होती है |

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Surabhi sharma
Surabhi sharma 07 May, 2022 | 1 min read


मुश्किलों में, 'दुआ' में होती है|

चोट लगने पर 'दवा' में होती है|

जो रक्त के कतरे - कतरे में बहती है

वो "माँ " होती है |

बचपन में,

अपनी उनींदी आँख लिए

हमारे लिए लोरी की थपकियों में होती है,

कहानियां सुनाकर खिला देने वाली

नापसन्द सब्जियों में होती है|

जिसका आँचल पकड़

बच्चों की सुबह होती है

वो माँ होती है |

तपती धूप में,

थकने पर जो छाया होती है|

फिसल कर 

गिर न पडें हम,

सम्हालने वाली जो

हमारी साया होती है|

जीवन के हर डगर पर

जो रहनुमायाँ होती है

वो "माँ "होती है |

गर्भ में रख नौ महीने

हर कष्ट पर चुप रहती है |

सींचती रहती है हर पल हमें

जो प्रसवपीड़ा सहती है |

सृष्टि को एक नयी कृति

देने के लिए,

जो खुद फ़ना होती है

वो "माँ" होती है

वो "माँ" होती है |

धन्यवाद

सुरभि शर्मा

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Surabhi sharma

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