वो महकती रसोई

बारिश का मौसम और पकौड़े की तलब

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Surabhi sharma
Surabhi sharma 24 Jul, 2022 | 1 min read

बरसों हो गए,

बेसन के हलवे की

मीठी सोंधी खुशबू,

सिल-बट्टे पे पिस

कर बनाई हुई 

धनिया - पुदीने और ईमली की 

खट्टीमीठी, तीखी चटनी 

घर के बने कुरकुरे चिप्स, 

और चटपटे पकोड़े, 

और गर्मागर्म मसाला चाय 

से रिश्तों में मिठास, 

हँसी के ठहाके और 

बातों में गर्माहट घोलने वाली 

मेहमाननवाजी किए हुए|

वो क्या है न! 

अब हम शिक्षित हो 

अपने तन के प्रति 

भी जागरूक हो गए तो, 

नूडल्स, पिज्जा, बर्गर

फ्रेंच फ्राय और प्रिजर्व

किए हुए, महीनों के तले 

हुए, बाजार के पॉकेट में 

मिलने वाले चिप्स अब 

हमें ज्यादा 

पौष्टिक नजर आने लगा है |

और दूध - पानी अदरक, इलायची 

गुड़, शक्कर से बनी

 हानिकारक चाय से ज्यादा 

फायदेमंद कोल्ड ड्रिंक लुभाने लगा है, |

हमारा घर पे निकला 

हुआ शुद्ध घी

जिसमें मिलावट की कहीं से 

कोई गुंजाईश नहीं, 

हज़ारों घरेलु नुस्खे खुद में समेटे 

रिफाइनड के सामने लज्जित सा है |

अपना देशी खान - पान भी अब 

अपनी मातृ - भाषा हिंदी , अपनी संस्कृति 

अपने पहनावे की तरह 

कहीं घर के एक कोने में छुपकर, 

खुद को देहाती और पिछड़ा समझ 

अब कभी लजाने लगा है, और 

कभी आँसू बहाने लगा है |



सुरभि शर्मा 

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Surabhi sharma

surabhisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 1 year ago last edited 1 year ago

    सार्थक सृजन

  • Surabhi sharma · 1 year ago last edited 1 year ago

    शुक्रिया

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