बोझ

एक छोटी सी कहानी... पढिए तो बताइये कैसी लगी?

Originally published in hi
Reactions 2
277
Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 31 Jul, 2022 | 1 min read
Humanity Shortstory

चलों यार थोड़ी देर इस पेड़ के नींचे रूकते हैं, फिर आगे चलेंगें आज गर्मी बहुत है और रिक्शे वालों को भी आज ही हड़ताल करनी थी।

तीन दोस्त जो स्कूल से मॉल घूमनें के उद्देश्य से भाग आये थे लेकिन अब तक वहाँ पहुँच ना पाये थे, स्कूल से बाहर निकल कर उन्हें पता चला आज टैम्पू ओटो सब हड़ताल पर है।

"अब स्कूल वापस जा नहीं सकते, घर भी अभी नहीं जा सकते तो चलो ऐसे ही टाइम पास किया जाये। 

"अरे वो देख वो एक बुढिया माई कैसे उस गठरी के साथ दुखी हो रही, चल भी नहीं पा रही।" 

"अरे तो क्या कर लेगा तू, उसे दुखी होना है तो होएगी ना, पहले ही मूड़ खराब है। 

"तुम लोग रूको मैं अभी आता हूँ। 

"इसे भी हर वक्त परोपकार का भूत चढा़ रहता है,जाने दे,हम इतने कुछ खाते हैं ,वो देख भुट्टे वाला.. "

ये कहाँ गया भाई, दिख ही नहीं रहा, ना बुढिया दिख रही, ये अब नयी मुसीबत पैदा करेगा..!

आ जायेगा, जायेगा कहाँ, तू भूट्टा खा। 


कुछ देर बाद..!

कहाँ चला गया था यार तू, 

माई की गठरी उसकी झोपड़ी तक पहुँचा कर आया, यहीं है थोड़ी दूर। 

"तू भी इतनी गर्मी में, बोझ भी बहुत होगा "

"नहीं बोझ तो बिल्कुल नहीं था, उसमें फूलों जैसी दुआएं ही दुआएं भरी थी।" 

✍️सोनू लांबा


2 likes

Published By

Sonnu Lamba

sonnulamba

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.