ऊर्जा

यादें कभी भी, कहीं भी..

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 18 Jun, 2020 | 1 min read
Life Father's Day Memories

पुरानी डायरी मे मिला आज, 

एक कागज का टुकडा,

देखा तो लिखावट  जानी पहचानी थी,

मैं पढने लगी एक-एक अक्षर...

उन अक्षरो से  बनते शब्द...

उन शब्दो से निकलते अर्थ....

उन अर्थो मे छिपे भाव .....

उन भावो से बनता एक चेहरा...

और उस चेहरे से उभरता एक व्यक्तित्व,

जिसे मै कभी खोना ही नही चाहती थी,

कस के जकड लिया मैंने वो ...

कागज का टुकडा मुट्ठी मे ,.

जैसे बटोर लेना चाहती थी वो ताकत,

जो मै कभी पा ना सकी थी...

अपने पिता के गुजर जाने के बाद..

वही ऊर्जा याद दिला गयी मुझे...

मेरे  पिता  की वो चिट्ठी...।।

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