मेरे अराध्य

गणपति बप्पा से जुडी कुछ यादें..

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 22 Aug, 2020 | 1 min read
Life Sprituality Mere aradhya Ganesha

जीवन में कितनी बाते ऐसी होती हैं...जिनके बारे में हम सोचने बैठ जाये तो हर बार एक ही बात सामने आती है....कि पता नही...कुछ याद नही...लेकिन मुझे अच्छी तरह याद है....यही कोई 1994 या 95 रहा होगा ...मैं बस से जा रही थी ..खिडकी वाली सीट जो हमेशा मेरी फेवरिट रहती थी बस में...उस पर बैठकर ..बस एक छोटे से कस्बे के स्टेशन पर खडी रही काफी देर...मैं खिडकी से बाहर देख रही थी ..सामने एक छोटी सी दुकान थी काल्ड ड्रिंक वगैरा की शायद....उस पर वो कैलेण्डर लटका था बाहर की ओर ही..जिसमें शिवलिंग को अपने नन्हे नन्हे हाथो की गिरफ्त में बाल गणेश लिए हुए थे...मैं उसे एकटक देखती रही...वो गणेश मेरे मन को बेहद भाये...ऐसा नही कि उससे पहले मैने गणेश जी को देखा सुना नही था...हां पूजा वगैरा कभी नही की थी...घर में हम बच्चे लोग सावन में शिवजी की और नवरात्र में देवी मां की पूजा कर लिया करते थे... बाकी वार त्यौहारों पर मम्मी जो करा ले...दिमाग पर कभी जोर नही डाला...बस यही पूजा पाठ काफी रहा अपने लिए हमेशा और जब सब कुछ सम्भालने को मां बाप तैयार रहते हैं तब बच्चो को किसी भगवान की याद आती भी नही...हां कभी कभी मास्टरजी की डांट से बचने को शिवजी को पंजी...दस्सी बोल देते थे चढाने को...देखो डांट नही पडी तो चढायेंगें नही तो नही क्यूं दें भला...बचपन की यही खासयित होती है कि वहां लाजिकल कुछ नही होता ...इसलिए सब कुछ अद्भुत होता है...भगवान को धौंस देना भी..।

खैर ...मैं कहां थी ...उस दिन ..उस रास्ते में उस तस्वीर के माध्यम से गणेश जी मेरे मन में आ बसे...फिर तो जहां भी मुझे उनकी कोई तस्वीर..या मूर्ति दिखती ...बेहद अपने लगते और अनायास ही मेरे मुंह से निकल जाता कि मुझे गणेश जी बहुत अच्छे लगते हैं...इन्ही बातो से प्रेरित होकर .. मेरी एक सहेली ने मुझे जयपुर के बिरला मंदिर से खरीद कर एक गणेश प्रतिमा उपहार में दी...उस प्रतिमा को मैने अपने मंदिर में रखा और पूजा करने लगी ...यूं ही अपने मन से और उसके वर्ष भर बाद मेरी शादी हो गयी और मैं ऐक्सीडेंटली जयपुर ही पहुंच गयी...क्योंकी मेरे पतिदेव तब वहीं जॉब करते थे...। वहां जाकर जब हम पहली बार घूमने निकले तो ...वे मुझे मोतीडूंगरी वाले गणेश मंदिर ले गये ...और वहां जाकर मैं इतना भाव विभोर हो गयी कि वो आन्नद मैं अभी भी महसूस कर रही हूं लिखते हुए...एक तो मैने इतना भव्य गणेश जी का इकलौता मंदिर ही पहली बार देखा था ...और दूसरा मेरे प्रिय गणेश...वहां ...ऐसा लगा मानो बुला रहे हों....बहुत देर मैं वहां बैठी रही ...लग ही नही रहा था कि ये कोई नयी और अनजान जगह है....फिर लगातार आठ वर्षो तक जयपुर में मेरा प्रिय मंदिर वही रहा ...अभी भी वही है...जयपुर जब भी जाती हूं...वहां जरूर जाती हूं...।

वैसे तो हर वो जगह ...जहां गणेश जी विराजे हों...उनका हर चित्र ...तस्वीर और पेंटिग सब प्रिय ...उनकी सारी स्तुति...सारे स्तोत्र प्रिय....सबसे प्रिय संकट नाशन गणपति स्तोत्र ...।ज्योतिष के सूत्र कुछ भी कहें...राशि और लग्न देवता कोई भी रहे ...मेरा मन केवल और केवल उन्ही को ईष्ट मानता है...। मन खुद पहचानता है सब कुछ...हमें खास प्रयास करने ही नही होते कभी...और प्रकृति के रहस्योद्घाटन के तरीके हमेशा से ही अनूठे हैं ...आपके सामने कब क्या रहस्य प्रकट हो जाए...आप स्वंय भी नही जानते..।।

गणेश चतुर्थी की बहुत बहुत शुभकामनाएं ...गणपति बप्पा विघ्न विनाशक है और सर्व प्रकार का मंगल करते ही करते हैं..।।

©®sonnu lamba☺

#मेरेआराध्य...☺

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Sonnu Lamba

sonnulamba

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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Shubhangani Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    Very nice

  • ARCHANA ANAND · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुंंदर ,जय श्री गणेश

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद सखि

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    आप सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ

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