साडी

कभी कभी मन अपने मन की करना चाहता है..

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 23 Jul, 2020 | 1 min read
Life Culture Love Rituals Festival

रश्मि क्या हुआ बेटा, मुंह लटका के यहां क्यों बैठी हो अकेली, सब उधर तीज की तैयारी कर रहे हैं, और तुम यहां.. "तू बता क्या पहनेगी कल.. "

अरे.. ये साडी.. "

"ये तो वही है ना... जो तुम्हारी मम्मी ने दी थी पिछली तीज पर.. "

जी मम्मी जी.. ""

ठीक है.. इसे ही पहन लेना तुम.. "

"सोचा तो यही था, लेकिन बडी दीदी और जेठानी जी कह रही हैं इतनी सादी साडी, पहनोगी त्यौहार पर.. "

"ओह तो इसलिए उदास है, मेरी प्यारी बहु.. "

ऐसा है बेटा, सुनो सबकी और कभी तो करो अपने मन की.. "

उनको इस साडी का सादापन दिख रहा है और मुझे इसमें लिपटा तुम्हारी मम्मी का, तुम्हारे लिए प्यार.. "

कोई नहीं थोडी ऐसेसरीज हैवी पहन लो, लेकिन अगर तुम्हारा मन इसे ही पहनने का है तो इसे ही पहनो, मन मत मारो..!!


©®sonnu Lamba 

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Sonnu Lamba

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    भावपूर्ण

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks @sandeep

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