सब्जीवाला

प्रतिभा किसी उम्र विशेष या व्यक्ति विशेष की मोहताज नही होती..!

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 30 Nov, 2020 | 1 min read
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मैं बालकनी से रोज ही देखती थी सामने जो सब्जी वाला ठेले पर अपनी सब्जियां लगाता है, वो खाली समय में कुछ लिखता पढता भी रहता है, इतने शोरगुल में ऐसा क्या है.. जिसे ये पढता या लिखता होगा, अक्सर सोचती...! 

एक दिन मैं सब्जी लेने दोपहर में गयी, जब उसके पास कोई नही था, और वो बहुत तन्मयता से लिख रहा था..! 

मुझे देखते ही हडबडाकर उसने अपनी डायरी रख दी और पूछने लगा क्या चाहिए दीदी... बताइये..! 

मैने पूछ ही लिया, क्या लिख रहे थे..? 

वो कुछ नही दीदी.. ऐसे ही.. बस.. "

अरे नही, नही बताओ मैं खुद भी लिखती हूं, मुझे खुशी होगी जानकर.. "

जो मन में आता है दीदी, वही लिख लेते, वैसे तो रोजी रोटी के काम से ही फुरसत नही मिलती..! "

दिखाओ... मैं पढूं तो जरा..! 

आप.. वो सकुचाया, 

अरे, संकोच मत करो.. दो जरा, अपनी डायरी.. "

और उसने दे दी...! 

मैने देखा काफी कुछ इसमें लिखा हुआ है, 

तुम चाहो तो मुझे घर के लिए देदो, मैं कल वापस करती हूं.. "

ले लिजीए दीदी, लेकिन.. हम कुछ खास तो लिखे नही, आपका टाइम ही खराब होगा , पढकर..!

अरे ऐसी निराशा भरी बातें क्यों करते हो.. चलो अब सब्जी तो दो..! 

"जी, दीदी.. "

मैने घर आकर शाम तक ही उसकी पूरी डायरी पढ

डाली और बहुत हैरत में पड गयी कि इतना संघर्ष और इतनी तीखी कलम... अद्भुत संयोग है.!

 

शाम को मैने उसकी डायरी लौटा दी और उसके लिखे की प्रशंसा भी कि, तुम ऐसा करो, इसे कहीं पब्लिश कराओ..! 

हमको कौन छापेगा दीदी, वो मायूसी से बोला.. "

अच्छा ..मैं मदद करती हूं, मुझसे कुछ हुआ तो.. "

मैं सोचते सोचते घर आ गयी कि कैसे उसको पाठको तक लाया जा सकता है. "

"कुछ खास सूझा नही .."

सुबह हो गयी, और फिर वही दिनचर्या..! 

काम निपटाकर बालकनी में गयी... देखा तो आज वो नही आया था, अगले चार दिन तक भी वो नही आया, मन में बहुत अजीब ख्याल आते रहे कि क्या हो गया होगा..? 

सिक्योरिटी गार्ड से पूछा.. उसने भी कहा पता नही, मेमसाब.. कुछ "

मैं फिर अपनी दिनचर्या में लग गयी, दिन में एक बार ख्याल आ ही जाता कि उसके साथ कोई अनहोनी ना हो गयी हो..! 

मैं तो उसकी कुछ मदद भी ना कर पायी.. "

तभी एक दिन टीवी देखते हुए मेरी बेटी चिल्लायी, मम्मा देखो वो सब्जी वाले भैया टी वी पर... मैं दौड़कर आयी तो देखा, वो एक रियल्टी शो के मंच पर अपनी कविता पढ रहा था, उसकी आवाज टी वी पर गूंज रही थी और मेरी आंखे नम हो रही थी कि आखिर प्रतिभा को मंच तो मिला...।। 


©®sonnu Lamba 



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