सिसकी

जल प्रदूषण और जल की कमी बहुत बडी समस्या है, वर्तमान की..!

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 28 Jun, 2020 | 1 min read
Life Enviornment Health Pollution Water

नदी चल पड़ी थी पहाड़ को छोड़कर समन्दर से मिलने, खुशी खुशी और सोचती जाती थी, लेकिन ऐसे ही थोडे जायेगी, इठलाती, बलखाती , वो जायेगी जगह जगह से होकर, जगह जगह अपने होने के निशान छोड़कर, कहीं ऊंची नीची पहाड़ी से गिरकर झरना बनेगी, लोगो को मोहित करेगी, पशु पक्षी जानवर कलरव करेंगें वहां, आनन्द ही आनन्द होगा..! उसके बाद मैदान से होकर निकलेगी। बंजर भूमि को कर जायेगी हरा भरा, फसलों को सीचेंगी, किसी के चेहरे की मुस्कान बनेगी, प्यासे की प्यास बुझाती.. इठलाती इतराती जाकर अपने सागर की बाहर में समां जायेगी।

लेकिन हाय री किस्मत सपने सब सुहाने टूट गये, किसी ने उसके किनारे बैठ प्लास्टिक के बर्तन में खाया और वहीं छोड़ दिया। किसी ने बहाया उसमें जाने क्या क्या.. कितने गंदे नाले छोड़ दिये गये उसी में जगह जगह, उसकी आत्मा पर बोझ हो गया प्रदूषण.. अब पथिक उसका पानी नहीं पीते.. पक्षियों के लिए भी दूषित है वो जल, अपनी बेकदरी पर मुंह छुपाती वो, जाये तो जाये कैसे अपने समन्दर के पास।

इतनी कालिख लगी है उसके दामन पर कि वो दिन पर दिन सूखती जाती है और सागर से मिलने से पहले ही दम तोड़ देती है।

बस यही है एक अल्हड़ नदी की कहानी, दामन में है कालिख.... आँखों में नहीं बचा पानी..बस बची है तो केवल एक सिसकी...।

©®sonnu Lamba

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Sonnu Lamba

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Comments

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  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    काबिलेतारीफ सृजन

  • Sonnu Lamba · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद संदीप 🌺🌺🌺

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