सखा़प्रेम

सखा़ एक बहुत ही खूबसूरत एहसास है कि मन कहता ईश्वर भी सखा़ रूप में साथ रहे ।

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 22 Sep, 2021 | 1 min read
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कान्हा ..!

वृंदावन की उन गलियों में,

जहां तुम माखन खाते थे,

सबको अपने मोह मे बांध,

रह-रह तुम इतराते थे ,

क्या उन गलियों में ,

साथ तुम्हारें मैं भी थी,

कोई गोपी ,गैयां तुम्हारी,

या कोई पेड़ तो हूंगी ही,

कैसे जानूंँ ...मैं अकिंचन,

तेरी अदाओं पर मोहित हूंँ ,

मटकी ,बंशी ,माखन ,मिश्री ,

सबमें तुझको पाती हूंँ ।

जानती हूंँ मैं....

मथुरा ,वृदांवन, द्वारिका या हस्तिनापुर

इनसे ज्यादा विस्तृत है, कृष्ण

सब पर भारी है एक अकेला सुदर्शन,

लेकिन मेरा कान्हा ....ईश्वर है ,

मन ये सोचना नहीं चाहता है ,

सखा़प्रेम से दूर भला कौन होना चाहता है ।

©®sonnu lamba


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Sonnu Lamba

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