सुकून

बचपन हर गम से बेगाना होता है,

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Sonnu Lamba
Sonnu Lamba 22 Feb, 2021 | 1 min read
Childhood #1000poems

सूरज ,चांद,हवा ,फूल ,पत्ते ,तितली ,

कितना कुछ था ,देखने ,सुनने और जानने को

जब मेरे पास कोई काम ही नही था...

मुझसे किसी को कोई अपेक्षा ही नही थी ..

जिम्मेदारियों का मतलब मुझे पता ही नही था ..

रूपये ,पैसे ,ये शब्द मेरे शब्दकोश में ही नही थे...

चीजो से मेरा इतना वास्ता भर था

कि जरूरत है तो ठीक..

नही तो कहां क्या रखा है मुझे पता ही नही था ...

कुछ भी संभालने की हिदायतें नही दी जाती थी मुझे..

मैं खुद ही पगडंडियो पर संभल संभल चलती रही थी..

दिन के उजालो में प्रकृति को समेट कर

अपनी छोटी छोटी हथेलियों में....।

बिस्तर पर ,पैर फैला फैलाकर सोती थी मैं ..

मेरी नींद को भी कोई सलीका नही था ...

और आज इतना कुछ है ....

करने को कि खत्म ही नही होता ...

लेकिन बचपन सा सूकून कहीं बचा ही नही है ...।।

©®sonnu Lamba

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