संवार लूँ... संवार लूँ #paperwiffCoronawarriors

#Coronacontest आइए इन 14 दिनों में संवार लें अपना जीवन और हमसे जुड़े रिश्तों को। कैसे? जानने के लिए पढ़ना मत भूलिए..

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Sonia saini
Sonia saini 01 Apr, 2020 | 1 min read

इस तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी में कितना कुछ हाथ से फिसल जाता है और हम कई बार चाह कर भी इसे संभाल नहीं पाते. सुबह की चाय से शुरू होकर घर, दफ्तर, बच्चे, पति /पत्नी, परिवार के लिए सोचते हुए अक्सर खुद को और खुद से जुड़े रिश्तों को समय नहीं दे पाते। इग्नोरेन्स चाहे खुद के लिए हो या हमसे जुड़े रिश्तों के लिए एक समय के बाद उसका असर दिखता ही है। अगले 14 दिन के लॉकडाउन में खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए आपको घर में ही रहना होगा। इसे एक मजबूरी की तरह नहीं एक अवसर की तरह इस्तेमाल करें। याद है वो स्कूल के पुराने दोस्त जिनके साथ कितने ही राज बांटे थे जिनका हाथ थाम कर हमने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, ढूंढ़ निकालिए उनके नंबर और दिल खोल कर बातें कीजिए।

रिश्तेदारों और संबंधियों के ताने भी मन को कितना छलनी कर जाते हैं ना जब कोई कहता है आप उन्हें याद ही नहीं करते। तो क्यूँ न रिश्तों की चादर को अपने प्रेम से रफू कर दिया जाए। एक फोन आपके रिश्तों में गर्माहट का अहसास करा सकता है। वो चाची, मामी, दूर की ननद, या चचेरे भाई बहन जिनके साथ कभी बहुत सारी यादें बनाई थी उनको ताज़ा करने के लिए आपके पास समय ही समय है। यकीन मानिए आपके चेहरे पर मुस्कान खिल उठेगी।

बचे हुए 14 दिनों में सिर्फ़ रिश्तों को ही नहीं अपने आपको भी संवार लीजिए।

वो अक्सर नाश्ता छोड़ कर बस पकड़ने की जल्दी में न जाने कब से सुकून से खाया ही नहीं है। अपने लिए एक अच्छा सा डाइट प्लान बनाइए और बचे हुए 14 दिनों के लिए अपने आपको पैम्पर कीजिए। जी भरकर सोइये और आंखों के काले घेरों को अलविदा कह दीजिए।

पार्लर नहीं जा सकते तो क्या हुआ घरेलू उपचारों से अपनी त्वचा को और भी खिलने का मौका दीजिए। घर के कितने ही कोने "समय नहीं है" यह सोचकर उपेक्षित से पड़े रहते हैं। क्यूँ न उनकी साफ सफाई करके उन्हें संवार दिया जाए.

सोफे के नीचे, बेड के पीछे जाने कितना ही कबाड़ जमा है, आपके पास समय नहीं होता और कामवाली ठीक से साफ करती नहीं.. तो क्यूँ न संवार लें इन कोनो को भी।

लॉकडाउन से मेरा जीवन रुका नहीं बल्कि अपनी ज़िन्दगी को और बे‍हतर बनाने का मौका मिल गया है। समय है ठहर कर पीछे देखने का.. घर का, परिवार का, रिश्तों का कोई कोना उपेक्षित तो नहीं हो रहा है। यह वक़्त है अपने जीवन को फिर से संवारने का.. अपने मन में सकारात्मक ऊर्जा भरने का। तो क्या आप भी तैयार हैं मेरे साथ कहने के लिए 'संवार लूँ... मैं संवार लूँ....'..

लॉकडाउन के दिनों को खास बनाने के लिए मैंने क्या किया और कैसे बनाए अपने दिन हैप्पी हैप्पी जानने के लिए मुझसे जुड़े रहिए। फिलहाल इतना ही।

आपकी दोस्त

सोनिया निशांत

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Sonia saini

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