ज़िंदा मुर्दे...!

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Sonia saini
Sonia saini 07 May, 2020 | 1 min read

"अरे यार कहाँ फँस गए हैं हम लोग, मैं अभी ये कॉलेज और हॉस्टल छोड़ कर जा रही हूँ।"
"लेकिन हुआ क्या?"
"मैं बाथरूम में नहा रही थी तो मुझे लगा कि खिड़की से कोई झाँक रहा है। बाद में बाथरूम के आईने पर किसी ने खून से मेरा नाम लिख दिया। यहाँ जरूर किसी भूत प्रेत का साया है। मुझे यहाँ नहीं रहना। "
सीनियर के मुँह से यह बात सुनकर नई आई प्रीति की घिग्गी बँध गई। उसका चेहरा सफेद पड़ने लगा था। रात के 9 बजे शहर से बिल्कुल बाहर चारों ओर से घनी हरियाली से घिरे इस मेडिकल कॉलेज में हुई भूतिया हरकत से प्रीति मानो सदमे में आ गई थी।तभी एक सीनियर छात्रा की कड़कती आवाज सुनाई पड़ी।
तुम सब जूनियर अपने कमरे में जाओ, हम लोग इसे संभालते हैं, ये कुछ ज्यादा ही डर गई है।
प्रीति डरते हुए वहाँ से निकलकर अपने कमरे में लौट आई थी। लेकिन उसकी आँखों में आज नींद नहीं थी। हर छोटी बड़ी आहट पर उसकी आत्मा काँप उठती।
उसे अभी कॉलेज जॉइन किए एक हफ्ता ही हुआ था और तभी से सीनियर छात्राओं से इस ब्लॉक के भूतिया किस्से सुन सुनकर उसके मन में दहशत बैठ गई थी।
रात के तकरीबन एक बजे प्रीति को लगा जैसे उसके कमरे के बाहर कोई भारी लोहे का सामान घसीटा जा रहा हो। कुछ देर बाद किसी रोड से उसके दरवाजे पर वार करने की आवाज सुनाई पड़ने लगी। प्रीति का डर के मारे बुरा हाल था। वो कम्बल में डुबकी हुई सिसक रही थी। तभी उसके फोन की घंटी घन घना उठी। उसने सहमते हुए फोन उठाया तो दूसरी तरफ से भयानक फुसफुसाहट भरी आवाज में सुनाई पड़ा..." प्रीति....!"
उसके हाथ से फोन छूट गया! प्रीति डर से कांप रही थी कि अचानक उसका दरवाजा खुल गया। प्रीति ने भय से आँखें मूँद ली।
अचानक कमरे से ठहाकों की आवाज गूंजने लगी। प्रीति ने आँख खोली तो पूरा सीनियर समूह पेट पकड़े हँस रहा था।
"डियर जूनियर, रगिंग ना सही मजाक तो अलाउड हैं ना मेडिकल कॉलेज में। चल अब ज्यादा घबरा मत तेरे साथ मजाक कर रहे थे।
बात आई-गई हो गई। सभी लोग अपनी अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गए थे। एकाएक कॉलेज मैनेजमेंट का एक लेटर आया जिसके अनुसार सभी छात्रों को रेसिडेंट डॉक्टर्स के साथ वाली बिल्डिंग में शिफ्ट होना था। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने बहुत सस्ते दामों पर यह जमीन खरीद ली थी जो कि उनके हॉस्पिटल के ठीक पीछे ही थी।
सभी छात्र उत्साहपूर्वक नए हॉस्टल में शिफ्ट हो गए थे।जबसे वे लोग नए हॉस्टल में आए थे यहाँ कुछ न कुछ अजीब घटनाएँ हो रही थी। पहले तो कुछ स्टूडेंट्स  अजीबोगरीब व्यवहार करते हुए नोटिस हुए। फिर आए दिन कुछ न कुछ मनहूस घटित होने लगा। एक के बाद एक कई स्टूडेंट्स ने आत्महत्या कर ली थी। दबी जुबान में छात्रों के बीच यह चर्चा हो रही थी कि यहाँ कुछ गड़बड जरूर है।
छात्रों में भय का वातावरण बन गया था। लेकिन उन्हे अभी भी अंदेशा नहीं था कि भविष्य में उनका सामना किस से होने वाला है।
दो दिन बाद तीन डेड बॉडी मेडिकल कॉलेज लाई गई। शवों को छात्रों के शोध के लिए लाया गया था। दोनों शव अभी शव गृह में रखे हुए थे जो कि हॉस्टल की बिल्डिंग के बिल्कुल बगल में ही था।
अंतिम वर्ष के छात्रों को रात गए कुछ अद्भुत आवाजें सुनाई पड़ने लगी थी। शव गृह से आती भयानक आवाजें बगल वाले ब्लॉक में रहने वाले छात्रों की नींद उड़ा रही थी। विज्ञान भूत प्रेत में नहीं मानता इसलिए वहाँ रह रहे तीन छात्रों ने अंदर जाकर चेक करने का मन बनाया। जैसे ही दरवाजा खोला तो पाया तीनों शव अपनी जगह से गायब हो चुके थे। उनके चेहरे पर पसीना टपकने लगा. अंदर सब कुछ एकदम सामान्य था अभी तक आ रही आवाजें भी बंद हो चुकी थीं और कमरा भी बिल्कुल खाली था। तीनों छात्र वापिस जाने के लिए जैसे ही मुड़े छत पर लगे पंखे से एक आदमी नीचे की ओर कूद पड़ा। तीनों छात्र चीखते हुए वहाँ से बाहर भाग निकले। उनके पीछे पीछे सुस्त चाल से वे शव चल रहे थे जिन्हें आज ही मुर्दा घर लाया गया था। वे क्षत विक्षत शव कटे चेहरे, अकड़े हुए हाथ पैर और फटी हुई आँखों के साथ हॉस्टल में घूम रहे थे।
यह बिल्कुल अकल्पनीय और अविश्वसनीय घटना थी। उन तीन मुर्दों ने उस रात तीनों छात्रों को अपना शिकार बना लिया था। इस घटना के बाद वे मुर्दे और गायब हुए छात्र कहीं नहीं दिखे। कॉलेज प्रशासन ने भी हॉस्टल के एक भाग में ताला जड़ दिया।
छात्रों के मन में अभी भी दहशत व्याप्त थी। पुलिस और प्रशासन अभी भी तीनों छात्रों की मौत को स्वीकार नहीं कर रहा था. वे लापता छात्र को ढूंढने में लगे हुए थे।
कुछ दिन बाद फिर से कुछ और छात्र गायब हो गए। अब पानी सर से ऊपर चला गया था। हॉस्टल के हर कोने में कैमरे लगाए जाने लगे ताकि हर छोटी बड़ी घटना को मॉनिटर किया जा सके।
ठीक पंद्रह दिन बाद अमावस्या की रात को इस राज से पर्दा उठा। जिसने भी वह विडियो देखा उसका दिल दहल गया।
यह हॉस्टल एक कब्रिस्तान की जमीन पर बनाया गया था जिसे  प्रबंधन ने कम दामों में खरीद लिया था। जबसे छात्र यहाँ रहने आए तभी से कुछ दुष्ट आत्माएँ हॉस्टल में मंडराने लगी थी। उन आत्माओं के प्रभाव से ही कई बार छात्रों को अजीब व्यवहार करते पाया गया था। कैमरे से मिले दो महत्वपूर्ण विडियो में से एक विडियो में एक छात्र अपने गले में फंदा लगा रहा है और पास में ही एक छाया दिखाई पड़ रही है जिसका कोई शरीर नहीं है। कैमरे के विडियो में थोड़ी अस्पष्ट आवाजें भी सुनाई पड़ रही हैं जैसे कोई जानवर गुर्रा रहा हो. फंदा लगाता हुआ छात्र पूरी तरह से भाव विहीन है। अचानक कोई छात्र को नाम लेकर पुकार रहा है। बेहद भयानक आवाज... आ जाओ... आ जाओ... और अगले ही पल वह खुद को फंदे से लटका लेता है।

दूसरे विडियो में आधी रात को सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए तीन लोग दिखाई दे रहे हैं। तीनों कोई और नहीं वही गायब हुए छात्र हैं। उनकी आँखों में कोई हरकत नहीं है. चेहरे पर कोई भाव नहीं.. शरीर का कतरा कतरा खून चूस लिया गया है। शरीर बिल्कुल गल चुका है बस कपड़ों को देखकर उनको पहचाना जा सका है। वे अपने शरीर को घसीटते हुए हॉस्टल में घुस आएं हैं। अब वे कमरों का दरवाजा खटखटा रहे हैं। एक एक करके तीन दरवाजे खुल गए हैं। उन तीनों ने अपने अपने शिकार चुन लिए हैं। वे घसीटते हुए तीनों शिकारों को ऊपर की ओर ले जा रहे हैं। उसके बाद विडियो बंद हो जाता है।
उन सीढ़ियों से ऊपर जाकर देखा गया तो पता चला कि हॉस्टल बंद हो चुके भाग में पाँच छह लाशें गली हुई हालत में पड़ी हुई थी। जिसने भी यह नजारा देखा उसका कलेजा मुँह को आ गया। उन लाशों का अंतिम संस्कार करने के बाद उस हॉस्टल को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था।कॉलेज को भी उसी सत्र से हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था।
अब वहाँ कोई दिन में भी जाने की हिम्मत नहीं दिखाता। वह मेडिकल कॉलेज आज भी अपनी तबाही की गवाही देते हुए वहीं खड़ा है। और शायद वहीं दफन हैं कुछ ज़िंदा मुर्दे आज भी किसी नए शरीर की तलाश में!!

सोनिया कुशवाहा


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