जंगल के राज़

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Sonia saini
Sonia saini 21 May, 2020 | 1 min read



हैरी, कुणाल और ज़ीना मैप को देखते हुए आगे बढ़ रहे थे। तकनीक ने चाहे जितनी तरक्की कर ली हो किन्तु प्रकृति के आगे वह आज भी बेबस नजर आती है।
ब्राज़ील में स्थित अमेज़न के जंगलों को नजदीक से देखने की ख्वाहिश उन तीनों को ऐसी मुसीबत में डाल देगी उन्होने कभी सोचा तक नहीं था। एक तो रात का अंधेरा ऊपर से उनकी गाड़ी का शहर से बहुत दूर खराब होना उनके लिए मुसीबत बन गया था। कुणाल और ज़ीना का मानना था कि उन्हे सुबह तक गाड़ी में ही इंतज़ार करना चाहिए जबकि हैरी के लिए यह जंगल में पैदल घूमने का सुंदर अवसर था।
"चलों ना यारों, यकीन करो जानवर इंसान से ज्यादा खतरनाक नहीं होते। फिर हमारे पास टार्च है, गन है और हमारी जूडो मास्टर ज़ीना भी तो है।" हैरी ने उन दोनों को समझाया।
काफी देर तक सोचने के बाद उन्होने निश्चय किया कि ज्यादा अंदर तक नहीं जाएंगे, बस सड़क के आसपास ही घूमेंगे, ताकि खतरा होने पर गाड़ी के पास लौटा जा सके।
क्या जंगल था यह, इतना विशाल कि न आदि समझ आता था न अंत। एक बार जंगल में घुसने के बाद तो गूगल ने भी हाथ खड़े कर दिए थे। पुराने और विचित्र प्रजाति के वृक्ष, बेतरतीब बिखरी जटाएं और बेहद सघन भी। ज़ीना ब्राज़ील की रहने वाली थी। बीच बीच में वो यहाँ के बारे में कुछ न कुछ जानकारी दे रही थी।
"तुम लोग जानते हो ये जंगल इतना बड़ा है कि यहां एक पूरा देश बसाया जा सकता है। और एक बात पता है यहाँ के जंगलों में कुछ बहुत अजीबोगरीब घटनाएं भी नोटिस की गई हैं। यहाँ से कई लोग गायब हुए हैं।"
"अरे किसी जानवर ने हमला किया होगा!" कुणाल ने कहा। "लेकिन यहाँ के वन विभाग का कहना है कि उन लोगों को किसी जानवर ने अपना भोजन नहीं बनाया, ऐसा होता तो कोई अवशेष जरूर मिलता। "
" तुम डराओ मत प्लीज! ऐसा कुछ नहीं होता। हैरी ने ज़ीनी की बात काटते हुए कहा।
अचानक उन्हे थोड़ी दूर से एक आवाज आती हुई सुनाई पड़ी। एक अद्भुत सी आवाज जैसे कोई ढोल पीट रहा हो। किंतु यह उत्सव में पीटे जाने वाली धुन नहीं थी, अजीब सी मनहूसियत थी उस ध्वनि में। ढोल की वह ध्वनि नसों में शोक सा भर रही थी। वे तीनों न चाहते हुए भी उस ध्वनि की ओर खिंचे चले जा रहे थे। कुछ दूर के बाद आग की लपटें दिखाई देने लगी थी और कुछ मानवाकर अकृतियाँ भी। उनके रँग ढंग, वेशभूषा देख कर लगता था कोई आदिवासी समूह किसी विशेष आयोजन में सक्रिय है।
वे तीनों अब उन आदिवासियों के बिल्कुल नजदीक पहुँच गए थे। आग के चारों ओर घेरा बनाकर कुछ लोग नीचे मुँह किए बैठे हुए थे और कुछ आदिवासी आग के चारों ओर घूम रहे थे और बीच बीच में कोई विचित्र मंत्र भी उच्चारित कर रहे थे। कुछ बेसुध होकर ढोल पीट रहे थे।
ज़ीना, कुणाल और हैरी की बोलती एकदम से बंद हो गई थी। इतने भयानक जंगल में कोई आदमी कैसे रह सकता है। वे किसी निष्कर्ष पर पहुँचते उससे पहले ही ज़ीना चीख उठी!
"मिशेल तुम यहाँ कैसे?" अपनी दोस्त मिशेल को आदिवासियों के समूह के बीच बैठे देख ज़ीना के होश उड़ गए थे।
मिशेल ने इशारे से उसे चुप रहने को कहा और वापिस अपनी जगह बैठ गई। कुछ देर वे लोग ऐसे ही नाचते रहे। उनके नाच ख़त्म होने के बाद ज़ीना ने महसूस किया कुणाल और हैरी कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे। उसके माथे पर पसीने की बूँदे चमकने लगी।
कुछ अविश्वसनीय सा घटित हो रहा था उसके साथ। जिन दोस्तों के साथ वह यहाँ आई वे गायब हो गए और मिशेल न जाने कैसे यहाँ पहुँच गई?
अचानक सभी आदिवासी पंक्तियों में बैठने लगे। उन्हे भी इशारे से बैठने को कहा गया। ज़ीना मिशेल से कुछ पूछना चाहती थी किन्तु एक आदिवासी ने अपनी खून उड़ेलती आँखों से घूरते हुए उसे चुप रहने का इशारा कर दिया। नीचे बैठते ही एक पात्र में भोजन सरीखा कुछ परोसा जाने लगा। भयानक नुकीले औजार लेकर दो तीन आदिवासी हर पंक्ति में खड़े हुए थे। मुखिया जैसे दिखने वाले एक व्यक्ति ने सबको भोजन करने का इशारा किया और सभी मगन होकर खाने लगे। ज़ीना ने अपने पात्र से लेकर एक टुकड़ा मुँह में रखा और मुँह में रखते ही उसे उल्टी आ गई। वहीं दूसरी ओर उसकी दोस्त मिशेल बड़े मजे से भोजन खाती रही। उसकी आंखों में एक अजब सा वहशीपन झलक रहा था। जल्दी जल्दी बेहूदगी मे भोजन ख़त्म कर  वह उठ खड़ी हुई। उसके मुँह के चारों ओर बेढब तरीके से भोजन चिपका था। ज़ीना का दिल मानने को तैयार नहीं था यह उसकी दोस्त मिशेल है जो इतना बेहूदा और बदबूदार भोजन ऐसे जानवरों की तरह खा रही थी। ज़ीना ने नज़र दौड़ाई, अब उसे कुणाल और हैरी की चिंता सता रही थी। क्या हुआ उनके साथ और गए कहाँ वो दोनों? ज़ीना अभी सोच ही रही थी कि अचानक वहाँ भागदड़ मच गई।
ज़ीना और मिशेल भी अपनी अपनी जान बचाने के प्रयास में जहाँ समझ आया दौड़ पड़े। एक टूटी सी झोपड़ी को देख ज़ीना उसके भीतर जाकर छिप गई । कुछ देर बाद वहां से भयानक आवाजें आने लगी। जैसे कोई जंगली जानवर मांस खा रहा हो। बीच बीच में गुरराने की आवाज सन्नाटे को चीर देती। ज़ीना पसीने से तरबतर हो सहमी हुई एक कोने में बैठी थी । अचानक आवाज उसके निकट आती प्रतीत होने लगी... उसने अपनी आँखें कस कर बंद कर ली। कुछ क्षण पश्चात उसे अपने कंधे पर एक हाथ महसूस हुआ।
"यहाँ कैसे पहुँची तुम?" सामने मिशेल खड़ी थी।
"मिशेल , यहाँ कोई है," ज़ीना ने इशारे से उसे चुप रहने को कहा।
"क्या बोल रही हो? कौन है? और कहाँ है?"
"वहाँ झोपड़ी के पीछे की तरफ से किसी जंगली जानवर की आवाज आ रही है।" ज़ीना ने डरते हुए कहा।
"होश में आओ ज़ीना , यहाँ कोई जानवर नहीं है। तुम यहाँ हो, मेरी झोपड़ी में। यहाँ जानवर कैसे आएगा? हुआ क्या है कुछ बताओगी ?"
ज़ीना ने अपनी आँखों को खोला और नज़र दौड़ाई तो पाया यह झोपड़ी अब वैसी नहीं दिख रही थी जैसी तब थी जब वह दौड़ कर यहाँ आई।
"मिशेल मुझे यहाँ से बाहर निकालो प्लीज, मैं बहुत डर गई हूँ। यहाँ हो क्या रहा है और तुम यहाँ? मेरे दोस्त कहाँ चले गए? मुझे मेरे दोस्तों के पास जाना है!" ज़ीना बेसुध होकर चीख रही थी।
ज़ीना की चीखों को सुनकर मिशेल रहस्यमय तरीके से मुस्कुराई फिर कहने लगी, "अपने दोस्तों से मिलना चाहती हो तो भाग क्यूँ आई? वो तो वहीं थे। तुम चाहो तो मैं तुम्हें वहाँ लेजा सकती हूँ। "
" प्लीज मिशेल.. मुझे ले चलो.. मैं हाथ जोड़ती हूँ, और तुम...?"
"देखो यह एक लंबी कहानी है आओ तुम्हें चलते चलते सुनाती हूँ। देखो जंगल के जिस हिस्से से तुमने वह ढोल वाली आवाज सुनी थी ना वह एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है।उनके अपने रीति रिवाज और परम्पराएँ हैं। उनका बाहरी दुनिया से कभी कोई संबंध नहीं रहा है। हजारों साल से यह जंगल ही उनकी दुनिया है। "मिशेल ज़ीना को बता रही थी।
फिर एक दिन सरकारी आदेश पर यहाँ आग लगा दी गई, यहां से सड़क निकलने वाली थी। बिना यह जाने कि इसमें कितने लोगों की जान जाएगी। मरने के बाद भी वे लोग आज भी इस जंगल को ही अपना घर मानते हैं। और इंसानों का शिकार करते हैं।जैसे ही उन्होने तुम तीनों को जंगल में देखा वे खुशी से उत्सव मनाने लगे थे। कई दिनों के बाद इंसानी भोजन उन्हें मिलने वाला था। जैसे तुम लोगों ने उन्हे जीवित भून डाला वैसे ही वे लोग भी तुम जैसे शहरी लोगों को जीवित ही भून कर खाते हैं। तुम्हारे दोस्तों को पका कर वे लोग खा चुके हैं। तुमने भी तो चखा था ना! याद है या भूल गई? मिशेल ने नफरत भरी नजरों से ज़ीना को देखा।
बहुत हुआ और अब तुम्हारी बारी! मिशेल ने रूप बदलते हुए उसे भी उसी आग के हवाले कर दिया जिसमें उसके दोस्तों को पका कर भोजन बनाया गया था।
यह रहस्य आज भी बरकरार है कि जंगल से लोग गायब कैसे हो जाते हैं?कुछ घने जंगलों में गहरे राज़ भी दफन होते हैं।

सोनिया निशांत


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