क्षमादान

Poetry contest

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 1304
Sonia saini
Sonia saini 24 Apr, 2020 | 0 mins read

हवाओं में जैसे

ज़हर सा घुला है

नन्हा दुश्मन बाहर

तैयार खड़ा है

करते रहे सदियों से

तैयारी हम जंग की

बैठे रहे बिछा कर

बिसात रंज की

एक पल में सबके

मंसूबे किए खाक हैं

बैठे हैं घर में मनुज सब

भारत या न्यूयार्क है

कैद मनु गुफाओं में

और प्रकृति उन्मुक्त है

पंछी गा रहे

सरित प्रदूषण मुक्त है

यूँ तो ईश्वर तेरी

सर्वोत्तम मैं कृति हूँ

लोभ में निहित

किन्तु मेरी वृति है

अपराधों का हो सके तो

मुझको क्षमा दान दे

हे प्रभु ! मानव जाति को

कोरोना से तार दे ।

सोनिया निशांत कुशवाहा

0 likes

Support Sonia saini

Please login to support the author.

Published By

Sonia saini

soniautlvx

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.