आओ फिर से मिलकर बैठें एक साथ।

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 16 Jun, 2020 | 1 min read

खामोश वादियां में लिपटा मन

भीगी पलकों सा भीगा मौसम,

तन्हाई ने ऐसा जकड़ा है

हर तरफ छाया सूनापन।

ऐसे में दिल बेताब ना हो 

ये कैसे हो सकता है?

संग बिताए पलों का

एहसास ना हो,

यह कैसे हो सकता है?

समझाते भी हैं..... बहलाते भी हैं 

अपनी ओर से मनाते भी हैं,

पर मन जैसे सुध-बुध खोए बैठा

यादों के पिटारे में खोजता है

ख्वाब जो संग बुने थे कभी।

आओ, मौसम में फिर से रंग भर दें

कुछ पल फिर से गुजारें साथ,

संगीत प्रेम का फिर से गूंजे

फिर से छेड़ें वो पुरानी बात।



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