खिड़की से बाहर (कविता)

उगते सूरज की उजली किरणें फैलातीं उम्मीद की रोशनी दिखते हैं खिड़की से बाहर....

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 28 Aug, 2020 | 1 min read
Window Nature Morning

उगते सूरज की उजली किरणें

फैलातीं उम्मीद की रोशनी

दिखते हैं खिड़की से बाहर....

अनंत आकाश को छूने की चाह में

मीलों दूर तक उड़ते पक्षी,

दिखते हैं खिड़की से बाहर....

नटखट बादल का इक टुकड़ा

नाच यहां-वहां करता अपनी मनमानी,

दिखता है खिड़की से बाहर....

शीतल हवाओं की छेड़खानी से 

मदमस्त हो नाचती पेड़ की वो डाली,

दिखती हैं खिड़की से बाहर....

पेड़ की उसी शाखा पर पंख फड़फड़ाते

अपने बच्चों संग चिड़िया चहचहाती,

दिखते हैं खिड़की से बाहर....

पत्तों पर विविध आकार में 

मोती सम चमकतीं कुछ बूंदें ओस की,

दिखते हैं खिड़की से बाहर....

मन मोहते, दिल को सुकून पहुंचाते

प्रकृति की अनुपम छटा का एहसास कराते

मुझे ये सब दिखते हैं खिड़की से बाहर....


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