वो तो है खुशी...

मेरे चेहरे पर वो फिर से खिली ऐ खुशी, तू अब न जाना कहीं

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 06 Jul, 2020 | 1 min read

ये मदमस्त हवा, ये खुशनुमा फिज़ा

मौसम का रंगीन मिजाज़ और

पत्तों की सरसराहट 

देती है इशारा

बादलों की ओट में 

वो है छिपी।


गुनगुनाती हुई, मुस्कुराती हुई

मेरे चारों तरफ 

रंगीन सपनों का

घेरा बनाती हुई

आहिस्ता से 

पलकें झपकाती हुई

ना जाने कहां खो जाती है।


वो करती है कई देर तक

मेरे साथ अठखेलियां

आसमां की ओर दौड़ लगाती हुई 

फिर वापस चुपके से 

पीछे से शर्माती हुई

मुझे गले लगा जाती है।


वो तो है खुशी

कई मुद्दतों बाद मिली

खोई नहीं थी 

बस, कहीं उलझ गई थी

कुछ वक्त के लिए।


मैं भी तो अकेली नहीं थी

गम को छोड़ गई थी

संग साथ निभाने को,

बुरा क्यों मनाऊं

इस गम की वजह से ही तो

खुशी की कद्र, जमाने में है।



अब जाकर वो मेरे दिल में 

फिर से बसी, 

उसके आते ही

मेरे चेहरे पर 

वो फिर से खिली

ऐ खुशी, तू अब न जाना कहीं

तुझसे ही तो मुझे जीने की वजह मिली।


© Sonia Madaan


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