प्रेम।

ढाई अक्षर का शब्द है सारा पर इसमें समाया सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड।

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 27 Jan, 2021 | 1 min read
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ढाई अक्षर का शब्द है सारा

पर इसमें समाया सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड,


कोई कहे, प्रेम अनुभूति है‌, अहसास है

कहीं लिखा, इसमें ईश्वर का वास है,



प्रेम महज़ कुछ शब्दों में कहां बंध सका

इसकी परिभाषा असीमित, तो अलौकिक इसकी छाया,



प्रेम शाश्वत है, सत्य है, सृष्टि के कण-कण में समाहित है

कोई परिमाण नहीं इसका, कोई परिधान नहीं इसका,


भुलाकर किसी को, दिल में याद बन कर बस जाना, प्रेम ही तो है,

दूर रहकर भी हर पल साथ होने का अहसास कराना, प्रेम ही तो है,

खोकर किसी को, सदा के लिए पा लेना, प्रेम ही तो है,

बिन देखे एक अटूट, निस्वार्थ बंधन में बंध जाना, प्रेम ही तो है,

अपना सब कुछ हार कर, किसी का मन जीत लेना, प्रेम ही तो है,

लड़ना-झगड़ना, कभी गुस्सा होकर रूठ जाना, प्रेम ही तो है,

और कितने रूप दिखाऊं प्रेम के, 

संग बैठकर पेपरविफ के, अपनी कविता सुनाना, ये भी प्रेम ही तो है।

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