प्रेम

वह प्रेम प्रेम नहीं, मात्र बंधन है जो मन की इच्छाओं को मन के भीतर ही रोके

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 20 Aug, 2020 | 0 mins read
Hindipoetry True love

वह प्रेम प्रेम नहीं, मात्र बंधन है

जो मन की इच्छाओं को मन के भीतर ही रोके,

जो अपनी चुनी हुई राह पर बढ़ने से टोके।



वह प्रेम प्रेम नहीं, एक छलावा है

जहां करीब रहकर भी दूरियां हो दरमियान,

जहां मन की भावनाओं को करना पड़े बयान।


वह प्रेम प्रेम नहीं, एक घुटन है

जो अपनी ही बनाई दुनिया में रहने को मजबूर कर दे,

जो सपनों से भरे आसमां को सीमित कर दे।


वह प्रेम प्रेम नहीं एक दिखावा है

जो दिल की पीड़ा सुन, अनसुना कर दे,

प्रेम और विश्वास की आड़ में दगा कर दे।


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