प्रकृति को बचाएं।

प्रकृति बचायें।

Originally published in hi
Reactions 1
469
Sonia Madaan
Sonia Madaan 19 Jun, 2020 | 1 min read
Poetry Nature Environment

प्रकृति के सौंदर्य से दूर 

अपने ही बनाई सुख सुविधाओं

के जाल में कैद

आज मानव करता मनुहार है

किया इस धरा का हमने बहुत तिरस्कार 

तेरी गोद में बैठ, अमूल्य संपदा का किया विनाश

वन, खलिहान तेरे श्रृंगार

नभ, पर्वत, जल के स्रोत अपार

आज दूषित अवस्था में रहे कराह

अपनी करनी की सज़ा हमने पाई है

आज खुद को कैद कर, प्रकृति को दी रिहाई है

अपने खुदगर्ज़ी में,

क्यों भूल गया, ये दुनिया तेरी बनाई है

तुम हमसे नहीं, हम तुमसे हैं

आज बात समझ में आई है।

1 likes

Published By

Sonia Madaan

soniamadaan

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.