अब आगे बढ़ना है।

काबीलियत पर रखकर भरोसा मुझे बस, अब आगे है बढ़ना।

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 25 Aug, 2020 | 1 min read
Hindipoetry Courage

क्यों वक्त का मुझ पे पहरा हुआ है

 दिल मेरा क्यों ठहरा हुआ है

 क्यों आगे बढ़ने से हिचकिचा रही हूं

 मंज़िल क्यों न देख पा रही हूं

 हर डगर, हर मोड़ पर लगे

 अंधेरा हो जैसे फैला

 खुद पर यकीन क्यों न कर पा रही हूं

 मन में आशा की जो जलती है ज्वाला

 बुझने से उसे क्यों न रोक पा रही हूं

 कहीं दूर जो टिमटिमाते है तारे

 चांद के सम्मुख वो भी तो फीके हैं सारे

 पर फिर भी आसमान के बिछौने पर

 जड़वत रहते हैं ये तारे

 अपनी आभा के कारण पहचान अलग है इनकी

 अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं

 फिर मेरा मन क्यों है उलझा

 हर शह की अपनी होती है कहानी

 हिम्मत और जज़्बा हैं मेरे साथी

 राहें सुनसान भले ही हो

 अंधेरे की ताकत कितनी भी हो

 अपने हौंसले संग आगे है बढ़ना

 इस तम को अपनी इच्छा शक्ति से है हरना

 काबीलियत पर रखकर भरोसा

 मुझे बस, अब आगे है बढ़ना।


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