उड़ता बादल। (कविता)

आसमान में उड़ता बादल एहसासों के रंग से सजाया मैंने कुछ सपने, कुछ मुस्कुराहटें, कुछ आशाओं के रंग मिलाएं उसमें

Originally published in hi
❤️ 1
💬 2
👁 757
Sonia Madaan
Sonia Madaan 02 Jan, 2021 | 1 min read
Hindipoetry

आसमान में उड़ता बादल एहसासों के रंग से सजाया मैंने

कुछ सपने, कुछ मुस्कुराहटें, कुछ आशाओं के रंग मिलाएं उसमें,


सितारों ने भी उनमें अपनी झिलमिलाती रोशनी को बिखेरा है

यूं लगे जैसे अंधेरे को चीरता इक नया सवेरा है,


कभी पहुंच से मेरे दूर हो जाता, कभी करीब आता है

हवा का इशारा मिलते ही झूमता कभी, कभी इठलाता है,



मदमस्त हो कहीं-कहीं कुछ बूंदें ओस की टपकाता है

देखकर मेरे मन का रोम-रोम खिल जाता है,


मन चाहे ये बादल का टुकड़ा मेरे दिल में ही कहीं बस जाए

उड़े ना खोए कहीं, यूं ही मेरे संग रहे हर पल,

और वक्त भी थम जाए।



1 likes

Support Sonia Madaan

Please login to support the author.

Published By

Sonia Madaan

soniamadaan

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    उम्दा रचना

  • Sonia Madaan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Thank you Sandeep

Please Login or Create a free account to comment.