प्रेम की प्रतीति ◆◆◆◆          ◆◆

प्रेम....

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Vijay Laxmi Rai "सोनिया"
Vijay Laxmi Rai "सोनिया" 09 May, 2020 | 1 min read

प्रेम की प्रतीति
◆◆◆◆          ◆

प्रेम की प्रतीति
सर्वदा से अविरल,
अविचल,
अविस्मरणीय
व स्थायी है।
वहीं जो विरल है,
विचलित है
विस्मरणीय है
व अस्थायी है
वो प्रेम नहीं...
छद्म है,
दिखावा है,
एक संवेग है
विशेषता तो
देखो इसकी
अस्थायी
व विचलित
होते हुए भी
खंडित कर पाता है
स्थायी प्रेम को
ना जाने
कितने खंडों में....
और बिखेर देता है
उसी प्रेम को
जिसकी विवेचना
कभी वह स्वयं से
किया करता था।

-®©Vijay Laxmi Rai Sonia

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