कैसे कह दूँ कि तू बड़ा हो जा जल्दी से...

एक माँ के उमड़ते भाव...

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Vijay Laxmi Rai "सोनिया"
Vijay Laxmi Rai "सोनिया" 09 May, 2020 | 1 min read

कैसे आशीष दूँ

कि तू बड़ा हो जा

जल्दी से....

छोड़ नादानियाँ अपनी

ले ले परेशानियां दूनियां की

तू बड़ा हो जा

जल्दी से

कैसे कह दूँ...??

कि छोड़ मासूमियत अपनी

ले ले छल कपट दूनियां की

तू बड़ा हो जा

जल्दी से...,

कैसे दे दूँ दूआयें

भर भर

कि तू छोड़

अपने बेपरवाह लम्हों को

ले ले जिम्मेदारीयां सभी की

तू बड़ा हो जा

जल्दी से....,

कैसे बोलूं

कि तू छोड़

अपनी नादानियाँ

ले ले दूनियां की

समझदारीयां

तू बड़ा हो जा

जल्दी से

कैसे कह दूँ.. कैसे कह दूँ..?

कि तू बड़ा हो जा....जल्दी से,

लेकिन मैं कहूँ ना कहूँ

ये तो अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है

क्योंकि ना ही कोई रेत को समेट पाया है

ना ही कोई हवा को बाधं पाया है

औऱ ना ही किसी ने बया किया होगा

मातृत्व के सम्पूर्ण सफर को

ये सभी स्वतंत्र हैं अपने आप में

तो तेरे बढ़ते तने को कैसे रोक सकती हूँ

ये तो चलती रहेगी

चाहे दूं आशिष या ना दूं

तू बड़ा तो होता जाएगा

लेकिन मैं देती हूँ

तूझे हमेशा खूश रहने का आशिष

मैं देती हूँ हर रोज़ स्वस्थ रहने का आशिष

मैं देती हूँ व्यस्त रहने का आशिष

मैं देती हूँ तूझे मस्त रहने का आशिष

मैं देती हूँ हर वक्त दान देने का आशिष

मैं देती हूँ सम्मान देते.रहने का आशिष

मैं देती हूँ अभिमान छोड़

स्वाभिमान से रहने का आशिष

मैं देती हूँ आत्मसम्मान से जीते रहने का आशीष

मैं देती सदा जिज्ञासू बन

ज्ञान अर्जीत करते रहने का आशिष

मैं देती हूँ ज्ञान के संग विवेकवान बने रहने का आशिष...!

मैं देती हूँ एक कुशल,तीक्ष्ण व

बुद्धिमान बन सेवा करते रहने का आशिष..

मैं देती हूँ जीवन को

एक अलग नजरिये से देखने का आशिष

मैं देती हूँ हमेशा सकारात्मक बनें रहने का आशिष

मैं देती हूँ दूसरों का मदद करते रहने का आशिष

कितना दूँ आशिष तूझे

एक माँ का आशिष कभी कम ना होगा

लेकिन ना कह पाऊँगी

कि तू बड़ा हो जा....,जल्दी से...!!

स्वरचित व मौलिक

-- विजय लक्ष्मी राय "सोनिया"

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