ब्रह्मचारिणी माँ

माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप भगवती दुर्गा का दूसरा तपस्विनी का स्वरूप है। कहते हैं कि माँ ब्रह्मचारिणी नें हजारों वर्ष कठोर तप किया और सैकड़ो वर्ष व्रत कर भगवान शिव को प्राप्त किया। पर्वत राज हिमालय की पुत्री नें अपने तप जप से ब्रह्मचारिणी के नाम को सार्थक किया। वो प्रेम के संकल्प शक्ति की अद्वितीय उदाहरण है।

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Snehlata Dwivedi
Snehlata Dwivedi 14 Apr, 2021 | 1 min read

नमः शिवा 


ज्ञान ध्यान की प्रभा,

तपस्विनी महातपा।

जपे तू कोटि मन्त्र जा,

नमः शिवा नमः शिवा।


सहस्त्र वर्ष तप करा,

शतः शतः तू व्रत धरा,

संकल्प तो अटूट है,

नमः शिवा नमः शिवा।


हे माँ तू ब्रह्मचारिणी,

 तू शिव में ही विहारिणी।

शिवत्व की प्रभाषिणी,

नमः शिवा नमः शिवा।


अन्तस्थ प्रेम की कला,

तू त्याग तप बहुधरा।

अनंत तप अनंत जप,

नमः शिवा नमः शिवा।


सुता हिमालय राज की,

 तू राग शिव के बास की,

आशीष दे माँ तुम कदा,

नमः शिवा नमः शिवा।


डॉ. स्नेहलता द्विवेदी 'आर्या '

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