Snehlata Dwivedi

snehlatadwivedi

Share profile on
होली के रंग
होली के रंग रंगों की हो बरसात तो फिर भींग ही जाना, तन को भींगाना और मन को भी भींगाना । आजाये कोई याद कभी तेरे ज़ेहन में, यादों के शहर में तुम सब भूल ही जाना। रंगीन शहर है और ये रंगीन समां है, मन में उमंग प्रेम रंग सब पर चढ़ा है। अपने ही दिल के पास के गुलशन को संभालो, भौरें ने तो कली के भी संग फ़ाग रचा है। वो साड़ी संभाले कि फिर दुपट्टा संभाले, किसी ख़्वाब नें उसे तो फिर भरपूर रंगा है। पता नहीं क्यों सुर्ख लाल गाल हैं उसके, पहचान में न आ रही उसे फ़ाग चढ़ा है। मदमस्त नशामन है फागुन का महीना, रंग और अबीर सबके अंग अंग भरा है। मैं प्रेम के किस रंग की सौगात दूँ तुमको, होली में कई रंग अंग अंग लगा है। डॉ स्नेहलता द्विवेदी 'आर्या'

Paperwiff

by snehlatadwivedi

Colors

18 Mar, 2021