लॉकडाउन- एक नई दुनिया की शुरुआत

लॉकडाउन-एक नई दुनिया बनने की शुरुआत

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Smita Saksena
Smita Saksena 08 Apr, 2020 | 1 min read

लॉकडाउन का सकारात्मक पक्ष जिस पुरुष पीढ़ी को कभी सिखाया ही नहीं गया कोई काम करना ,ये कहकर कि तुम आदमी हो तुमको जरूरत नहीं, उन्होंने काम करना शुरू किया भले ही मजबूरी या किसी भी वजह से। पर आज भी इन पुरुषों के बड़ों को ये सब आज भी पसंद नहीं आ रहा है कि कैसी पत्नी है ये अपने आदमी से काम करवाती है हमने तो कभी फूल भी ना उठवाये अपने लड़के से। और जब आदमी से काम करवाती है तो क्या खुद तो महारानी पलंग तोड़ती होंगी। 

पर हां एक सकारात्मक चीज जरूर है कि एक नई पीढ़ी जो कि अगली पीढ़ी होगी हमारी वो ज्यादा समझदार और विवेकी होगी। जो समझेगी कि अगर औरत बाहर काम कर सकती है फिर आदमी को घर का काम करने में शर्म क्यों आनी चाहिए। बल्कि ऐसी सोच के लोगों को खुद पर शर्म आनी चाहिए। जो देखेगी कि मां और पिता दोनों ही घर बाहर का काम करते हैं तो ये नया और अनोखा नहीं होगा उनके लिए। वो भी शुरू से करेंगे हर काम बिना किसी पूर्वाग्रह या दुराग्रह के। वो दुनिया नई होगी , सोच नई होगी और सब कुछ बहुत ही सकारात्मक होगा। उम्मीद है हमारी अगली पीढ़ी एक पूरी तरह बदली हुई खूबसूरत दुनिया में कदम रखेंगी जहां स्त्री और पुरुष बराबरी के लिए नहीं लड़ेंगे क्योंकि वो बराबर हो ही नहीं सकते। जब ईश्वर ने अलग बनाया है तो हर किसी की अपनी महत्ता है, हर किसी की एक विशेषता होती है। पर वे एक दूसरे के पूरक बन सकते हैं और जरूर बनेंगे। जब औरते इस गिल्ट का शिकार नहीं होंगी कि वो घर का काम नहीं जानती या नहीं कर पा रही हैं ना ही पुरुष घर का काम करते हुए सोचेंगे कि वो घर पर कोई अहसान कर रहे हैं क्योंकि घर का काम हो या बाहर का वो दोनों ही की जिम्मेदारी होनी चाहिए।


स्मिता सक्सेना

बैंगलौर

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Smita Saksena

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