एक दिन प्रकृति और योग के नाम

हमने दिन की शुरुआत की योग एवं ध्यान करके और फिर प्रकृति के संग समय बिताया। आप भी बताएं आप क्या कर रहे हैं आजकल घर के भीतर रहकर।

Originally published in hi
Reactions 0
1097
Smita Saksena
Smita Saksena 01 Apr, 2020 | 1 min read

किस्त दो


आजकल रोज़ ही कभी देर तो कभी जल्दी सोने की वजह से हमारे यहां पूरे रूटीन की बैंड बजी हुई है और इस वजह से अजीब बेचैनी सी रहती है तो सबने कल रात ही डिसाइड कर लिया था कि आज हमें जल्दी उठकर योगा और ध्यान करना ही होगा। 

वरना यूं भी चलना-टहलना तो हो नहीं रहा पता चला किसी बीमारी ने ही जकड़ लिया।  

सवेरे जल्दी उठकर हम सब अपने छोटे से बगीचे में निकले अपनी योगा मैट उठाए तो देखा बगीचे की घास थोड़ी बड़ी होने लगी है। पेड़ पौधे भी मुरझाए से लग रहे थे दरअसल इस वायरस के चलते माली आया नहीं ऊपर से हम सब भी मारे डर के भीतर ही दुबके बैठे थे बस थोड़ा पानी डाला फिर भीतर चले आते कुछ खास देखभाल हुई ही नहीं। 

सबको हरे-भरे बगीचे  की ऐसी हालत देख अच्छा नहीं लगा फिर यही सोचा कि योगा के बाद नाश्ता जल्दी खत्म करके फिर आज हम सब ही लगें बगीचे को सुधारने में वरना अभी तो ना जाने कितने दिन माली नहीं आएगा और तब तक तो कहीं पूरी तरह फूल पौधे खराब ना हो जाएं। 

फिर योगा किया और उसके बाद तो जैसे सारा आलस , थकान फुर्र हो गई, एक नया जोश और तरंग हम सब में आ गई, शरीर भी खुल सा गया। जिस योगा को हम पहले  से भी करते आए हैं और पिछले कुछ दिनों से बस यूं ही जो कैसे भी छूट सा गया था आज फिर से उसके फायदे और असर को हम सबने देखा, महसूस किया और मान गए (अब तो पूरी दुनिया मानती है योग की शक्ति और सकारात्मकता को, और ये भी कि अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में इसका बेहद अनमोल योगदान है)। फिर जल्दी नाश्ता खत्म करके अपने अस्त्र-शस्त्र 😂😂(खुरपी, कैंची, कटर, हजारा(टोंटी वाला पौधों को पानी देने में प्रयोग किया जाने वाला बर्तन, पाइप से पानी बर्बाद होता है इसलिए हम इसे यूज करते हैं)) लेकर मैदान(बगीचे) में उतर पड़े।

पहले घास की कटाई -छंटाई की गई (उसे भी प्रयोग करने का आइडिया भी बिटिया रानी ने दिया कि जब अगली बार बाहर जाओ तो तबेले में दिया जाए ताकि घास कचरे में ना जाए और पशु का पेट भी भरे)

पेड़ -पौधों की कटाई-छंटाई पूरे परिवार ने मिलकर की और बहुत आनंद उठाया साथ ही पेड़-पौधे, फूल-पत्तियां भी यूं झूमने लगी कि मानों हमारे साथ और देखभाल से खुश होकर नृत्य कर रही हूं। हल्की चलती हवा तन के साथ मन को भी सुकून दे रही थी। इतना सब करने के बाद सब बेहद थक गये थे तो सोचा पानी थोड़ी देर बाद दिया जाएगा। अभी सब नहाकर खाना खाएं। तो फिर सबने नहाकर साथ में खाने की तैयारी भी की मैंने खिचड़ी बनाई, पतिदेव सलाद रायता बनाने, सांस और बेटी ने बर्तन लगाए और ससुर जी ने पानी रखा। सबके साथ काम करने का मजा भी आता है थकान नहीं होती और चुटकी में समय गुजरता है। हम खाने बैठे और मानों हमें खुश देखकर प्रकृति भी हमें उपहार देना चाहती थी और बादल घिर आए और पानी बरस गया। हमें पानी नहीं देना पड़ा और अचानक से खूबसूरत हुए मौसम का मजा खाते हुए उठाया।

दिन अभी बाकी है और शुरुआत से लेकर आधा दिन बेहतरीन गुजरा है। हमने यूं बिताया अपना दिन अपनों के संग, थोड़ा सेहत पर ध्यान देकर और थोड़ा प्रकृति के संग। आप कैसे बिता रहे हैं बताइए हमें।


स्मिता सक्सेना

बैंगलौर

0 likes

Published By

Smita Saksena

smita saksenal58p

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.