रंगीले भारतवासी

बुन्देलखडी कविता अपन औरन की एकता के लाने।

Originally published in hi
Reactions 0
305
Dr.Shweta Prakash Kukreja
Dr.Shweta Prakash Kukreja 26 Jan, 2022 | 1 min read
Republic day Bundelkhandi Indian

न देखो हुईए कोउ ने,

ऐसो रंगीलो हमाओ देस भैया,

राम,कृष्ण,बुद्ध,महावीर खां,

इतै गोद में खिलात रही इनकी मैया।


हिमालय सो ऊँचो ललाट,

समुद्र इके पाँव पखारे,

गोदी में खेलती मुलक्की नदियाँ,

आँखन खा सुहात लाखन नज़ारे।


हर प्रान्त के अलग पकवान,

अनेक भासाये ,ऐन मीठी इतै की बोली,

सब औरे है अलग एक दूसरे से,

पर मिल बैठ करत हँसी-ठिठोली।


बँधे है सबरे संविधान की डोर से,

जनतंत्र से मिली सबखा स्वन्त्रता,

खुली हवा में फिरत हम भारतवासी,

अनेक है फिर भी दिखत हम औरन में एकता।


© डॉ.श्वेता प्रकाश कुकरेजा



0 likes

Published By

Dr.Shweta Prakash Kukreja

shwetaprakashkukreja1

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.