मातृ दिवस

एक कविता मदर्सडे पर एक माँ की भावनाओं को दर्शाती हुई

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Dr.Shweta Prakash Kukreja
Dr.Shweta Prakash Kukreja 09 May, 2021 | 1 min read
Poem Mothersday Hindi

पूरे साल....हाँ पूरे साल इस मई के महीने की राह तकती हूँ,

आ जाये जब मई तो उसके दूसरे रविवार के आने का इंतज़ार करती हूँ,

रोशन हो जाती है आँखें उसके whattsap status पर खुद की फ़ोटो देखकर,

बाग़ बाग़ हो जाता है दिल mobile पर अपने मुन्ने की आवाज़ सुनकर,

हर पल मेरा पल्लू पकड़े, बचपन में मेरी गोद में ही सोता था,

प्यारा सा मेरा लाडला खाने का पहला निवाला मुझे ही खिलाता था,

हाथ जो मेरा जल जाता तो खुद ढेरों आँसू वो बहाता,

धूप में कपड़े धोते देख दौड़कर मेरे लिए एक छाता ले आता,

नन्हें हाथों से मेरी उंगलियों पर nail polish लगाए तो कभी बाल बनाये,

अपनी पसंद से साड़ी निकाले और सोने के पहले मेरे पैर दबाये,

कहते है बचपन की आदतें इंसान उम्रभर नहीं है भूलता,

फिर क्यों बड़े होने पर अपनी माँ को भूल मुन्ना हो जाता लापता?

क्यों अब इतने busy है कि माँ से बात करने का भी समय नही मिलता?

पूरा साल यूँ ही है गुज़र जाता क्यों माँ से मिलने का मन नहीं करता?

मत बड़ा करो.... ऐ मालिक इन माँ के कलेजे के टुकड़ों को,

पथरा जाता है दिल इनका,हो जाते है इतने दूर,जरा कोई पकड़ो तो,

क्यों बनाया तूने मुझे ऐसा कि हर गलती पर मै माफी दे देती हूँ,

मुझे भी ज़रा रूठना,शिकायत करना सिखा दो,खाली है हाथ फिर भी दुआएं देती हूं...

फिर भी दुआएं देती हूँ।।

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Dr.Shweta Prakash Kukreja

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