तुम्हारी आँखे

कहानी उन आँखों की जिन्हें समाज से नकारा पर एक मासूम ने गले लगाया

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Dr.Shweta Prakash Kukreja
Dr.Shweta Prakash Kukreja 30 Oct, 2020 | 1 min read

सुंदर,काली गहरी आंखें देख, "इसे तो हम नैना बुलाएंगे” मानव ने ऐलान कर दिया था।शादी के दस साल बाद हमारे जीवन में खुशियां आयी थी।पर धीरे धीरे महसूस हुआ कि कुछ अलग थी हमारी नैना।जब मैं खेलती तो समझ नहीं आता कि मुझे देख भी रही है या नहीं।

मानव और मेरी तो धड़कने ही थम गई जब डॉक्टर ने कहा कि नैना देख नहीं सकती और इसका एक मात्र इलाज प्रत्यारोपण ही है।जो भी नैना को देखता उसकी मासूम ,नीली आंखों से आकर्षित हुए बिना न रह पातासमय के साथ साथ नैना की परेशानियां भी बढ़ रही थी,पर वह कभी न रोती,न विचलित होती।उसकी बातें हर किसी का मन मोह लेती थी।आठ बरस ही हुई तो हम उसे बड़े अस्पताल दिखाने दिल्ली ले गए ,इस उम्मीद में कि शायद किसी ओर तरीके से नैना को रोशनी मिल सके। 

ट्रैन में एक हिजड़ा आया, "आये हाय…चाँद सी बिटिया है…इसकी नीली आंखों के सदके कुछ दे दो बहन।भगवान इसे लंबी उम्र बक्शे।" ताली पीटते हुए वह बोला।मैंने पर्स से पैसे निकाले तो नैना बोली, "माँ, मैं दूंगी।" पैसे ले के उस हिजड़े के पास पहुँची ओर उसे छूने लगी, "आप नीचे तो आना ज़रा।"

वो ठिठक गया, "बोल बिटिया…ले बैठ गयी मैं।“ 

“आप आंटी हो पर आवाज़ अंकल जैसी है,आप तो कमाल लगती होगी…सबसे अलग…काश आपको मैं देख पाती।"कह नैना उसके गले लग गयी। फिर पैसे देते हुए बोली, "आप भी चाँद सी सुंदर हो,आपको भी भगवान लंबी उम्र बक्शे। " सुन वह रो पड़ा।मैं और मानव भी अचंभित थे। "इतने बरसों में पहली बार किसी ने मुझे दुआ दी है..तुम्हारी आंखे वो देख पाई जो कोई न देख पाया।नीले आंखों वाली परी…देखना तू जल्दी ही दुनिया देखेगी।" यह बोल उसने नैना का माथा चूमा औऱ हमारा फ़ोन नंबर ले के चला गया।

एक बार फिर निराश हो हम दोनों नैना को ले अस्पताल से लौट रहे थे,डोनर नहीं मिला था कि तभी मानव का फ़ोन बजा।“हेलो, नैना के पापा बोल रहे है?आप लाल किले के सामने वाली गली में तुरंत आ जाईये, किसी का एक्सीडेंट हुआ है..वो आपसे बात करना चाहता है,जल्दी करिए।" और फ़ोन कट गया।

“माँ…माँ कहाँ खो गयी फिर आप?” नैना ने मुझे ज़ोर से हिलाया और मैं यथार्थ में वापस आयी।जब भी नैना को देखती हूँ उन्हें धन्यवाद देती हो जिन्होंने अपनी आंखों से नैना की ज़िंदगी रोशन कर दी।दुनिया शायद उनकी कौम को इंसान भी नहीं समझती पर मेरे लिए वे भगवान से कम न थे।


एहसान कर गयी तुम्हारी आँखें।


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