कोई आये या ना आये

रूठने से पहले, मनाने वाले का होना भी ज़रूरी है।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 28 Aug, 2020 | 1 min read

मुझे डर लगता है रूठने से बहुत,

ना जाने कोई मनाने आये या ना आये।।

ताकती रहती हैं इन्तेज़ार में ये नज़रें,

यकीन नहीं नसीब में इस इंतेज़ार का सिला दिलाने कोई आये या ना आये।।


ज़िन्दगी का स्वाद समझ ही नहीं आता दोस्तों,

जो चख ली मिठास हमारी दोस्ती की...

अब चाहे कोई भाए ना भाए।।


इस कदर महका है तुम्हारे इत्र से ये मन, अब कोई औऱ खुशबू लुभाये या न लुभाये।।


कई खुशनुमा गीत ये मन गुनगुनाता है आज भी, 

अब चाहे प्यार के तराने कोई गाये या न गाये।।


पर डर तो लगता है रूठने से बहुत,

तुम जैसे आते थे वैसे मनाने कोई आये या ना आये ।।


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Shubhangani Sharma

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