थोड़ा बेसुरा, हो जाने दो हमें। थोड़ा तो खुलकर.. गाने दो हमें।। जो ख़्वाब से तुम, हाथों की गिरफ्त से... हो दूर तो क्या, ख़्वाबों में ही तुमको.. पाने दो हमें।। उनींदी से आँखों को... खुलने तो दो ज़रा। थोड़ा सा और, अलसाने दो हमें।। बस यूँही थोड़ा सा, बहकने दो... थोड़ा तो लहराने दो हमें।। थक गए बहुत, चलते चलते। शज़र के साये में, सुस्ताने दो हमें।। पनाह खुद में ही, पा लेंगे हम। खुद से वाकिफ़... तो हो जाने दो हमें।। तुम तो मशगुल हो ही, अपनी ही दुनिया में। एक और सुकून भरी दुनिया, बनाने दो हमें।।
उनींदे
सुकून भरी दुनिया।
Originally published in hi

Shubhangani Sharma
23 Dec, 2020 | 1 min read
Life.. peaceful world.
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