मीडिया या महाभारत

मीडिया का सच्चाई को ऊपरी सतह से परखना महाभारत के पात्रों जैसा है। हम जानते हैं कैसे।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 15 Sep, 2020 | 1 min read


हमारे देश ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व के लिए मीडिया एक मुख्य भूमिका का निर्वाह करता है। यह संचार का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। हमें विश्व के समाचार के साथ साथ यह हमारा मनोरंजन भी करता है।

पर आज के समय में यदि हम मीडिया की तुलना महाभारत काल के किरदारों से करतें हैं तो अतिशयोक्ति न होगी।

अब हम शुरू से शुरू करतें हैं। जिस प्रकार महाभारत की नींव गंगा माँ के अर्ध सत्य और भीष्म की प्रतिज्ञा ने रखी। आज मीडिया अपना गृहकार्य किये बिना बस TRP के खेल के लिए कोई भी ख़बर को उठा लेते हैं। फिर हफ्तों तक हमें परोसते रहते हैं।

अब गांधारी और धृष्टराष्ट की बात करते हैं। एक के पास सत्य को देखने परखने की दृष्टि नहीं थी और दूसरे ने स्वयं वह दृष्टि त्याग दी। आज मीडिया भी यही करती है जिस खबर को महत्व दिया जाना चाहिए वह अनदेखी कर दी जाती है।

कुंती ने भी इसी प्रकार बिन देखे, बिन जाने कह दिया पांडवों से, "बांट लो" पर क्या? इसी प्रकार हर पात्र ने महाभारत में सत्य को ऐसे तोड़ मरोड़ के प्रयोग किया कि उसका अर्थ का अनर्थ कर दिया। और वे पात्र जो आदरणीय थे या जिनको सुना या माना जा सकता था । उन्होंने मौन रख लिया। यही हमारी मीडिया के मुखिया करते हैं।

कुछ तो धर्मराज कहे जाने वाले युधिष्ठिर की भांति यह भी कहते हैं, “अश्वत्थामा मारा गया अब नर या हाथी पता नहीं।"

देखा जाये तो जो मीडिया संचार का रूप स्वतंत्रता से पूर्व था वह पूर्णतः नष्ट हो गया है। अब तो वह अपने लाभ मात्र के लिए कार्य करती है ।

पर मीडिया को वास्तव में महाभारत के एक और पात्र से प्रेरणा लेना चाहिए, वह है “संजय”। जिसने निष्पक्ष एवं निर्भीक हो धृष्टराष्ट को युद्ध का पूरा वृतांत सुनाया। यदि ऐसा हो तो शायद सत्य हमेशा सिर उठाकर रहेगा बिना किसी पक्षपात के। 


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