दर्द की ज़ुबाँ

दुख हो या दर्द समय के साथ गुज़र जाता है, दर्द में कोई साथ ना हो तो जीवन बिखर जाता है।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 02 Dec, 2020 | 0 mins read
Pain needs to be vented.

दर्द की जो कोई ज़ुबान होती,

वो दर्द से ही बयाँ होती।।

चीर कर रख देती रूह को,

दर्द की वो दास्ताँ होती।।

दर्द का जो सैलाब आँखों से बहता,

फिर कौन उसे रुकने को कहता..

बहा ले जाता, वो कोफ़्त को सारी,

ऐसी वो रवाँ होती।।

दर्द ही दवा दर्द ही मरहम,

दर्द की ही बातें जब दरमियाँ होती।।

दर्द के ही हमसफर होते हम तुम,

दर्द हमारी दास्ताँ होती।।

स्याह राते ना पीर देती इस कदर,

जो संग हमारे कायनात होती।।

जो बाँट लेते दर्द भी खुशियों की तरह,

क्या ग़रज़ उसकी जो यूँ वो जवां होती।।

दर्द जो हल्का, हवा सा होता,

रंजिशें भी सारी हवा ही होती।।

दर्द की जो ज़ुबान होती,

तो रातें ना सारी बियाबां होती।।




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Shubhangani Sharma

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