सूरज बनाऊँगी...

मेरे चाँद को सूरज बनाऊँगी...

Originally published in hi
❤️ 1
💬 0
👁 700
Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 21 Apr, 2022 | 0 mins read

ताकते हुए आसमां को

माना मैं तेरी सौम्यता में खो जाऊँगी,

पर करती हूँ वादा ख़ुद से,

मैं अपने चाँद को सूरज बनाऊँगी।।


शालीन, सौम्य, चंचल, चितचोर...

सब कुछ बनाऊँगी...

कुंभला जाए जो हल्की सी आँच से...

ना ऐसा लाड़ लड़ाऊंगी...

है वादा ख़ुद से मेरा,

मैं अपने चाँद को सूरज बनाऊँगी।।


बातें रोशन, काली रातें रोशन...

ऐसा रोशन व्यक्तित्व बनाऊँगी।

गोद में छुपा, आँचल की

ठंडी छाँव उढ़ाऊँगी...

पर वादा अटूट है मेरा,

मैं अपने चाँद को, सूरज बनाऊँगी।।


ना सुंदर, ना सुघड़,

होने की दौड़ दौड़ाऊंगी..

अपनी सी होने का अर्थ है क्या...

बस ये बतलाऊंगी...

अपना हर वादा निभाऊंगी...

सच कहती हूँ,

मैं अपने चाँद को , सूरज बनाऊँगी।।


हो पथ चाहे कंटक से भरा,

उन्हें बस आगे बढ़ना सिखाऊंगी...

भटकाव संभव है जीवन में,

पर हर पग राह दिखाऊँगी...

पर ना पर आश्रित होना है तुझको चंदा,

ऐसा पाठ पढ़ाऊंगी...

एक सतत कोशिश के तहत...

मैं अपने चाँद को सूरज बनाऊँगी।।

1 likes

Support Shubhangani Sharma

Please login to support the author.

Published By

Shubhangani Sharma

shubhanganisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.