गाँधी एक आँधी

गाँधी जी की पुण्यतिथि एवं शहीद दिवस पर एक श्रद्धांजलि।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 30 Jan, 2021 | 1 min read
#1000poems #poem7
हाँ, कहलाता तो मैं गांधी था..
पर मैं स्वदेश की आंधी था।।
दुनिया के लिए चाहे जो भी था,
अपनों के लिए हीरा सोना चांदी था।।

जब जकड़े थे जंज़ीरों में हम, 
जब हर एक पल हमारा बंदी था...
हाँ तब मैं ही था आज़ाद सोच का,
जिसका ना कोई सानी था।।

सत्य अहिंसा का परचम लेकर,
लोगों के दिलों की संधि था।
हाँ, मैं ही तो था जो सबको
एक सूत्र में बाँधे था।।

नाम नहीं मैं एक सोच था,
उसूलों का पक्का धनी था।
ग्रंथ वेद तो ईश्वर जाने,
पर मानवता का मैं ज्ञानी था।।

हूँ अब भी छुपा तुम्हारे भीतर,
ख़ुशबू मैं सौंधी सौंधी था।।
हाँ मैं था गाँधी, एक नव...
निर्माण की आँधी था।।



 

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Shubhangani Sharma

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