देश के लिए....

देश के आगे और कोई तर्क नहीं...

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 26 Jan, 2022 | 1 min read
#patriotism

इरादों और वादों में कोई फ़र्क ना हो....

देश के लिए जज़्बातों में कोई तर्क ना हो।।


बैठे रहे एक अरसे से बदलाव की चाह में,

देख लेना कहीं रूह हमारी सर्द ना हो।।

देश के लिए जज़्बातों में कोई तर्क ना हो....


मुमकिन है हालात कभी तुमपर मेहरबान ना हो,

पर चेहरे पर कभी बेईमानी की पर्त ना हो।।

देश के लिए जज़्बातों में कभी तर्क ना हो...


आज़ादी की रोशनी, अंधियारों को चीर कर पायी थी..

ये आज़ादी फिर कहीं बेवजह ख़र्च ना हो।।

देश के लिए जज़्बातों में कहीं तर्क ना हो....


हाथ-पैर-हाड़-मांस सब सलामत रहें,

पर मस्तिष्क हो ऐसा, जिसमें कोई गर्त ना हो।।

देश के लिए जज़्बातों में कोई तर्क ना हो....


ख़ुद खड़ा हो और बढ़ मुल्क के लिए,

तरक़्क़ी हो बेशुमार पर तु ख़ुदग़र्ज़ ना हो।।

देख लेना तू फ़िर पलट कर एक बार,

कि देश के लिए जज़्बातों में कहीं कोई तर्क ना हो।।


शुभांगनी शर्मा














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Shubhangani Sharma

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